________________ 36 चउद स्वप्न देखी जागीया जया राणीजी तेहनो अरथ सुणी साच मन हरखांणी जी चउद सुपन महोच्छव कियो रतनचंदेजी हरखें मनह मझार प्रभु पद वंदेजी // 8 // ढाल [6] // ( मधुकर माधवने कहीजे रे - ए देशी / ) फागुण वदि चउदस रजनि रे सुत प्रशवे जयादेवि जननी रे हरखे सवि मेदनी सजनी रे जिनपति जगगुरुजी जाया रे दिशिकुंमरीइं हुलराया रे // 1 // अधोलोकवाशि दिशिकुमरी रे जिन जन्म अवधिनांणे समरी रे आवी आठ तसें अमरी रे जिन० // 2 // समीरे जोयण भूमि समारी रे ईशानें सूति घर विस्तारी रे उभी गुण गाइं ते सारी रे जि० // 3 // उर्द्धलोकथी आठ देवी रे आवी जल-फूलने वरसेवी रे भूमी योजनमित्त करेवि रे जि० // 4 // पूर्व रुचकथी आठ देवी रे आठ दर्पण हाथमा ल्यावी रे प्रणमि पूर्व दिशि ठावी रे जि० // 5 // दक्षिण रुचकथी दिगकन्या रे Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org