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________________ मार्च २०१० प्रस्तुत कृतिनी प्रत सम्पादनार्थे आपवा बदल श्रीसाहित्यमन्दिर भण्डार (पालीताणा)ना व्यवस्थापकश्रीनो तेमज मुनिजयभद्रविजयजीनो आभार. ॥ अर्हं नमः ॥ ॥ एँ नमः ॥ ॥ धुलबंध ॥ राग तहंसा ॥ - शासनदेवति' नमउं तुम्ह पाय, सरसति मझ मत्ति दिउ घणी ए, हर भास, आस पुरउ हईया तणी ए १ हंसवाहिनि वर आपि अनोपम, ऊपम भगवति दिउं किसिउं ए, मूरख हूं पण भगति विशेषिहिं, भावलक्ष्मी गुण गाइसिउं ए ...वि, निरमली सहज सभावि, २ ३७ आनन्दि पूरिउ आज, सारीउं मई मझ काज, सारीउं मई मझ काज, भगवति नयणि दीठइं वासना, दारिद्र चूरइ ऋद्धि पूरइ सखी, देव नयर निरूपम सीधपुर जाणि, सरगजमलिं किरि तुडि दीसए गढ - मढ - पोलि - पगार, सार सरसति नदी जिहां मेरूसिहर सम पंच प्रासा [द], प्राग्वंसि वसइ विव[हारीया ] साल्हओ नामि, जाणि कि आणन्द अवतरिउ ए ५ हइ ए, ३ करइ ए, वसइ ए ४ त्रूटक अवतरिउ किर' आणन्द श्रावक, महति १० मुहवडि११ किज्ज, १२ तस घरणि झबकू सुद्दढपणि सलहिज्ज १३ए, तस ऊयरि उतपन अछइ, वितपन नाम मरगदि १४ सुन्दरी, जिण वचण जाणइ हियइ आणइ जाणि कि ब्राह्मी सुन्दरी ६ ॥ अथ राग-मारूयणीं धना[सी] ॥ उदार सुललित इम भणइ ए, सांभलु ए मुझ मन तणी वात, तात माता प्रति प्रीछवइ ए, जाणीउ एउ अथिर संसार, सार संजम अम्ह मनि वसउ ए ७ व्रत लयुं ए निज बान्धव साथि, साखि १६ श्रीरत्नसिंघसूरि तणइ ए, अवतरियां ए किरि बेउ इणि कालि, कालिक कुंयरि१७ नइ सरसती ए ८
SR No.229468
Book TitleSadhviji Bhavlakshmi Dhulbandh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSuyashchandravijay, Sujaschandravijay
PublisherZZ_Anusandhan
Publication Year
Total Pages3
LanguageHindi
ClassificationArticle & 0_not_categorized
File Size56 KB
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