________________ [50] दशरथनंदन लखमण राम नाम निरंतर सहू जपइ ए / त्रिणि कोडि मुनिवरसिउं राम, सेजि आठि कर्म खपइ ए२ // 33 / / तस संतानिइं पांडव पांच, जणणी गुरु धरणी सहीअ / सिद्धा इणि परि सुणउ सहू कोइ, सिद्धाचलि सवि कर्म दहिअ 2 // 34|| अजाहरि थाप्यानी आदि वरिस संख्या सहूइ सुण उ / ब्यासी सहस नइ लाख इग्यार, हूआं भविअण मनि गणउ 2 // 35 / / सेजेज तीरथ महिमा कप्प भद्रबाहू गणहर कहीअ / ते जोई धर्ममंगल सीसि पास अजाहर थुइ लिहीअ 2 // 36 // पनर बहसठिइ ऊना नयरि आसो सुदि आठमि दिनि ए / जे नरनारि निरमल भावि भणइ गणइ ते सांभलइ ए // मनवंछित सुख साधक तास घरअंगणि सुरतरु फलइ ए 2 / / 37 / / इतिश्री अजपुरनगरमंडनपार्श्वजिनराजस्तोत्रं संपूर्ण / / भक्तिकुशल गणिनालेखि / उनतदुर्गे / सं. 1679 व. श्रा. व. 5. // Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org