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अनुसन्धान- ३८
चोत्रीश अतिशयवर्णन गर्भित श्रीसीमंधरजिन स्तवन
सं. : पं. महाबोधिविजयजी
भूमिका :
महाविदेहक्षेत्रमां वर्तमानमा विचरता भगवान श्रीसीमंधरस्वामीना ३४ अतिशयोना वर्णनथी युक्त प्रस्तुत स्तवन ४१ कडी युक्त पांच ढाळमां रचायेलुं छे.
कर्तापरिचय :
विक्रमना सत्तरमा सैकामां रचायेला प्रस्तुत कृतिना कर्ता तपागच्छीय श्रीविजयदानसूरि महाराजना शिष्य श्रीहर्षसागरउपाध्यायना शिष्य श्रीकमलसागरजी महाराज छे. जैन गूर्जरकविओ जेवा औतिहासिक ग्रन्थोमां सघन तपास करवा छतां कर्ता अंगेनो विशेष परिचय के कर्तानी अन्य कृतिओ अंगेनी विशेष माहिती सांपडी नथी.
प्रतिपरिचय :
श्री लालभाई दलपतभाई भारतीय संस्कृति विद्यामन्दिरना ज्ञानभण्डारमांथी प्रस्तुत हस्तप्रतिनी प्रतिकृति प्राप्त थयेल छे. त्रण पत्रात्मक आ कृति प्रायः सत्तरमा सैकामां रचायी होय तेम जणाय छे. प्रति बहुधा शुद्ध छे. क्यांक क्यांक अशुद्धि छे. अल. डी. इन्स्टीट्यूटना ज्ञानभण्डारमां आ प्रतिनी बोजी कोपी माटे तपास करवा छतां ते अमने मळी शकी नथी. तेमज कोबाना विशाळ ज्ञानभण्डारमाथी पण आ कृतिनी अन्य हस्तप्रत संप्राप्त थई शकी नथी.
कृतिपरिचय :
पांच ढाळमां रचायेली आ कृतिमां परमात्माना ३४ अतिशयोनुं खूबज सुन्दर शैलीमां वर्णन थयुं छे. प्रथम ढाळनी प्रथम पांच कडीमां भगवान सीमंधरस्वामीनुं केटलुंक वर्णन कर्या बाद पछीनी त्रण कडीमां प्रभुना चार सहज अतिशयनुं वर्णन करायुं छे.
बीजी ढाळनी आठमी कडीमां कर्मक्षयथी प्राप्त थता ११ अतिशयोनुं वर्णन करवामां आव्युं छे. त्रीजी अने चोथी ढाळनी कुल १६ कडीमां देवताकृत १९ अतिशयोनुं वर्णन थयुं छे. पांचमी ढाळनी प्रथम सात कडीमां
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