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सप्टेम्बर २००९
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१७६० आसपास धन्नानो रास, रत्नसार तेजसार रास इत्यादिक ग्रन्थोनी रचना करी छे. परंतु आ काव्य संवत् १६५९ मां रचायुं होई कर्ता गंगदास कवि गांगजीथी भिन्न होई शके अथवा लहियानी भूलथी १७५९ने बदले १६५९ लखायानो पण संभव छे.
लहियानी बेदरकारीथी केटलाक ठेकाणे पाठ अपूर्ण रही गयो छे. केटलेक ठेकाणे पाठ वाच्य होवा छतां अर्थनी स्पष्टता थई शकी नथी. तेथी ते पाठ अहिं ते ज रीते रजू को छे.
आ कृतिनी प्रत नेमि-विज्ञान-कस्तूरसूरिजी भण्डारमां संगृहीत झेरोक्ष विभागनी छे. मूळ प्रत भावनगर श्री श्रुतज्ञानप्रचारक सभाना भण्डारनी छे. प्रत आपवा बदल भण्डारना व्यवस्थापकोनो खूब खूब आभार.
शब्दकोश १. कह्नइ = पासे
१७. कोइल - कोयल २. जुहार = प्रणाम
१८. प्रेमल = परिमल ३. यंग = यज्ञ
१९. मि - मैं ४. द्रवि =: पैसा (द्रव्य)
२०. यामीउ = वाव्यु ५. वेधुं =
२१. कमां कमां = ६. चोला = चोळा
२२. छावित = ७. सालणां = कचुंबर, अथाणा २३. निरवाणि = जरूरी ८. वरनी :- सा(भा)तना उंची जातना? २४. परहरां = छोडी ९. फूटरां = सुंदर
२५. उतरां = उतरीश १०. फोफल = श्रीफळ
२६. पुनयोः उन्नयो = आकाशमां ऊंचे ११. नीरवासी = पाणी थी भरेला चढी रहेलो (छवायेलो) १२. त्रिपति = तृप्ति
२७. लवइ = बोले १३. सफरां = मोंधा ?
२८. परिसा = परिसह १४. कभाय = अंगरखु, झम्भो २९. सुधं = सुघु = साचु १५. पछेवडी = पछेडी
३०. प्राजि = -प्राज्य - घणा १६. केसुय = केसूडो
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