________________ [88] (7) पंडित भक्तिसागर-कृत-आदिनाथ-स्तुति (कुटुंब-नाम-गर्भित) जयकरजंतुकृपालय पालय नतमुनिचंद्र / ऋषभजिनार्कसनाभि-नाभिकुलाम्बरतंद्र (चंद्र)। 1 काकाकाकीर्णोद्धर मामामामिलितः / सासूनूत्तमरूपम ससुरोमामिलितः // 2 जयजयरवनंदीकरो दिक्करि विमलयशः / भाभोभाभी रतिकर: दादो दादिविशं // 3 देव रदावलि दीधिति-निजित दाडिमबीज / भाइन वाणी वितरतु रोगाद्यशुभ त्रीज // 4 भतरी जीवसुखावह भाणे जीवनदः / / रक्ष शुभाणेजो जय कारक जीवनदः // 5 शालीकृत शिवशालो देरानीतिकरः / ज्येष्ट भवोदधितारक जेठानीतिहरः / / 6 मासुखमाशीर्वादो बहुशिवसुखभर तार / सुकृतलतापल्लवना बह नीरदवरतार / / 7 (त्रिभिर्विशेषकम्) भोजा ईतिप्रशामक रेफइतार्तिविलाप / ज्ञानजमा इभगतिधर देहि सुकृतमाबाप / / 8 सुजनानंद रजोज्झित नानंदरिपुकंद / दर्शतस्तव जिनवर मादृश एष न नन्द // 9 श्रीमद्वाचकलब्धिसागरगुरोः शिष्याणुना भक्तिना नीतः संस्तुतिगोचरं जिनपतिः श्रीमत्कुटुम्बाह्वया / श्रेयः श्रेष्ठकुटुम्बवृद्धिमतुलां कुर्याद्युगादिप्रभुः श्रेयःसंततिकारक: शिवपुरी संघस्य कल्याणकृत् // 10 -x--- Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org