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श्रीराणभूमीशवंशप्रकाशः
सं. मुनि कल्याणकीर्तिविजय
'श्रीराणभूमीशवंशप्रकाश' ए महोपाध्याय श्रीमेघविजयजी म.नो एक नवीन अने अद्यावधि अज्ञात-अप्रकट ग्रन्थ छे. आ ग्रन्थमां राणभूमि अर्थात् राजस्थाननी-राणाओनी भूमिना राजाओनी वंश-परंपरानी वीगत छे. जेमां एकलिंग-महादेव पासेथी वरदान पामेल बप्प नामक महाराणाथी प्रारंभी महाराणा राजसिंह (प्राय: कविना समकालीन) सुधीना राणाओनां वंशपरंपरागत नामोनी अनुक्रमे वीगत आपेली छे.
प्रथम ११ श्लोकोमा राजा बप्पथी लई बादशाह अल्लाउद्दीनने जीतनारा कीर्तिकसिंहराज सुधीना ३२ राणाओनां नाम छे. त्यारबाद १२ थी १८ श्लोकमां, पाठान्तरे प्राप्त थएला, बप्प थी मांडी कर्णसिंह सुधीना २६ राजाओनां नाम वर्णव्यां छे.
ते पछी, अहीं वच्चे बीजा पण घणा प्रबळ राजाओ थया, पण तेमनां नामो बीजा पुस्तकोमाथी जाणी लेवां, एवो हवालो आपे छे.
तदनन्तर, १९ थी ५४ श्लोकोमां, जेनाथी राजाओनी राणा एवी ख्याति थई एवा राहप राजाथी प्रारंभी राजसिंह सुधीना २६ महाराणाओनां नाम-वर्णन करे छे. जेमां कुम्भलमेरु तथा राणपुर (राणकपुर)मां जेमणे जिनप्रासादोनुं निर्माण कराव्युं हतुं तेवा कुम्भकर्ण राजा, उदयपुर वसावनार राणा उदयसिंह, बादशाह अकबर तथा तेना मोगलसैन्यने हंफावनार महापराक्रमी राणा प्रताय, विधर्मीओ पासेथी राणपुर व. तीर्थो जैनोने पाछा अपावनार तेमज तत्कालीन तपगच्छपति आ.श्री विजयदेवसूरि म.नी प्रेरणा तथा उपदेशथी तीर्थयात्रानो वेरो माफ करनार अने पिच्छिल्ल तेमज उदयसागर सरोवरमांथी माछलां पकडवानो प्रतिबन्ध करनार महाराणा जगत्सिह; तथा छेल्ले तेमनी पाटे आवेला, अत्यंत पराक्रमथी दिल्लीपतिने पण पराजय आपनार महाराणा राजसिंह व.नु अत्यन्त सुन्दर तेमज रसळतुं वर्णन छे.
छेल्ले, राजाओनी गणना-नाम व. मां घणा पाठो होवाथी, तेमज
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