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दहेरामांहे पइसता
खडागइ छेदाउ सीस , खंगिल जाण्यउ मों भणी हिव करिस्यई बगसीस ॥११०
ढाल-९
(केकइ वर मांगइ , एहनी) पुत्र-मरण दुसह सुणी
सेठ छोड्या प्राण तुरत रे ,
भाग्य जाग्यउ पणमइ जे परनर विरूपउ चीतवइ ते पातइ पामइ झप्ति
भाग्य जाग्यउ पलमइ ॥१११ एह वात राजा सुणी ,
तेडइ दामन्नक निज पास रे , भा० कीधउ सेठनउ गृहपति , हिव भोगवइ लीलविलास रे भा०
॥११२. भा० अनाबाध साधइ सदा ,
पुरषारथ तीने नित्त रे , भा० धरम अहोनिसि आदरइ
मुख बोलइ भाषा सत्य रे भा०
॥११३. भा० न करइ खल संगति
कहे दातार न शंकारइ संग रे , भा० पडिलाभइ मुनि सुधउ
आहार वसन मनरंग रे भा०
॥११४. भा० सगुरु समीपइ सांभलइ
सिधांततणा सुविचार रे , भा० दीन दुखी जन्मउ धरइ
अनेक करइ उपगार रे भा०
।।११५. भा० इम उत्तमि मारगि चालतां एक दिन इक भट्ट सुजाण रे , भा० आवि भणइ गाथाइ इसी , तिण रंज्यउ सुणउ प्रमाण रे भा० ।
||११६. भा०
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