________________ 77 दुगविध शिक्षा उपदिशैजी // 3 तेर किया व्रत बार गिहि पडिमा अगीयार ग०, श्रावक गुण एकवीस भेद सिद्धना जी / / 4 विनय वैयावच्च कल्प धरे दशविध छ अकल्प ग०, वंदन दोष बत्रीस विकथा चार तजेजी / / 5 कुमकुम घोळ कचोळ गहूंली रंगमरोळ ग०, अक्षत श्रीफल उपरेजी // 6 मगधाधीपनी नारी सोल सजी शिणगार ग०, लळीलळी करती लूंछणाजी / / 7 जोती गुरुमुख चंद पामती परमानंद ग०, चतुर चिकोरी गोरडीजी / / 5 सुरवधु नरवधु कोडि मिली मिली सरखी जोडी ग०, गावे जिनशासन धणीजी // 9 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org