________________ अनुसंधान-२४ चालि / श्री पास गोहिल सादडी पुर नाडूलें वींझेव ए, शिवपुरी अर्बुदगिरिइं जीरापल्लिनगर महेव ए, जावालपुर भीणमाल गउडी पारकार?] जेसाण ए, मंगलोर नागपुरे मरोटै छवट्टण मुलताण ए॥५॥ ढाल / गोडी / श्री फलवधिपुर जोधपुर, मेडतें घंघाणी तिमरीपुरइ ए / - आसोपइ अजमेर पाली, बीलाई नींबाजै जावरे ए // 6 ढाल / मथुर समेत अहिछत्तपुर आगरइ, राजगृह जवणपुर हत्थिपुर अलवर[इ], नयर गोपाचलै ढिल्लीइ रावणे, पास वाणारसी वंदीइ इकमणे // 7 // ढाल / करहे. तिलधारइ ए, मगसी दुक्ख निवारइ ए, तारइ ए पास समेलइ दहथली ए, पोसीने कुकडसरै पास सदा सानिध करै, वडोदरै चारूपै आसा फली ए // 8 // ढाल / इय अठोतर सो सुभ ठामें, जपतां पास जिणेसर नामें, . पामें ऋद्धि वृद्धि सुभ वास, सहजकीरति सुखलील विलास / / 9 / / इति श्री अठोतर सो नामें पार्श्वनाथ स्तोत्रम् / (पत्रना अंते- संवत् 1760 वर्षे आसू सुदि 7 दिनें लपिनीता मुंदरा बंदर मध्ये / ) जैन देरासर नानी खाखर-३७०४३५ जि. कच्छ, गुजरात * * * Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org