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________________ अनुसंधान-१९ लोकोनी पण आ स्थिति होय, तो आपणे शा माटे 'मारु मारूं' एम करतां वळगी रहे, ? एम कवि सूचवे छे. ढाल ६२मां ते व्रतना पांच अतिचारनी वात छे. ढाल ६३मां छा 'दिशापरिमाण' नामे गुणवतनुं तथा तेना पांच अतिचारोनुं स्वरूप वर्णव्युं छे. ढाल 64 मां सातमा 'भोगोपभोगपरिमाण' नामे गुणव्रतनी वात आवे छे. दिशापरिमाण एटले रोज, महिनामां, वरसमां के आखा जीवनमां, कई कई दिशामा केटला विस्तार सुधी जवू के न जqते अंगेनी मर्यादा आंकवानी छे. ज्यारे सातमा व्रतमां पोते आहार वगेरे तमाम बाबतोमा केटला पदार्थो भोगवी तथा राखी शके तेनी मर्यादा निश्चित करवानी छे. एमां मूळ चौद नियमो नित्य लेवाना-पाळवाना होय छे, तेनी वात ढाल ६४मां छे. ते पछीनी छ ढालो (६५-७०)मां आ व्रतना पांच अतिचारोनुं विस्तृत अने बारीक वर्णन थयुं छे. ढाल ६५मां सचित्त (सजीव)भक्षण अने सचित्त-प्रतिबद्ध-भक्षणरूप अतिचारना प्रकारो तथा तेनो निषेध बताव्यो छे. ढाल ६६मा 22 प्रकारना अभक्ष्य पदार्थोनी तथा ढाल ६७मा 32 जातना अनंतकायनी गणतरी आपी छे, जे त्याज्य छे. ढाल ६८७०मां पंदर कर्मादानो (घोर पापमय-हिंसामय कार्यो)- विगते स्वरूप आप्यु आठमा 'अनर्थदंड विरमण' नामना गुणव्रतनुं विगतवार स्वरूप ढाल ७१मां छे. वगर कारणे अने वगर लेवा देवाए मनुष्य जे पापाचरण करे ते अनर्थदंड. तेनाथी बचावनार आ व्रत छे. ढाल पछीना दूहाओमां आ व्रतना पांच अतिचार दर्शावेल छे. ढाल ७२मां नवमा 'सामायिक' नामे शिक्षाव्रतनी वात छे; ते पछीना दुहाओमां पांच अतिचारो, चार प्रकारनां सामायिक, तथा आ व्रतना आराधकोनुं वर्णन थयुं छे. ते पछी ढाल ७३मां दशमा व्रत 'देशावकाशिक' नामे बीजा शिक्षाव्रतनी वात आवे छे. शेष तमाम व्रतोना नियमोनो संक्षेप-संकोच आ व्रतमा करवानो होय छे. तेमां पाळवानी मर्यादा वर्णवीने साथे ज तेना पांच अतिचारो पण देखाड्या छे. ढाल ७४मां अग्यारमा ‘पौषधोपवास' नामे शिक्षाव्रतनुं वर्णन थयु छे. 'पौषध' ए जैन श्रावकनी 12 के 24 कलाक सळंग करवानी एक Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.229324
Book TitleVrat Vichar Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherZZ_Anusandhan
Publication Year
Total Pages112
LanguageHindi
ClassificationArticle & 0_not_categorized
File Size999 KB
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