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________________ 17 देवनागरी लिपि और उसका वैज्ञानिक महत्त्व भारतीय संस्कृति में प्राचीनकाल से संस्कृत भाषा को गीर्वाणभाषा / देवभाषा कही जाती है और इस भाषा व भारतीय संस्कृति की कई भाषाओं की लिपि देवनागरी है । भाषा व लिपि दोनों भिन्न भिन्न चीजें हैं । ध्वनिशास्त्र में दोनों का विशेष महत्त्व है । भारतवर्ष की कुछ भाषाओं की लिपि देवनागरी है । उसमें हिन्दी, | संस्कृत, प्राकृत, मराठी, इत्यादि भाषाओं का समावेश होता है । देवनागरी लिपियुक्त भाषाएँ व उसीके वर्ग में आनेवाली अन्य भाषाओं की एक महत्त्वपूर्ण विशेषता यह है कि उसी भाषा के शब्द या वाक्य इत्यादि के उच्चारण उस-उस शब्द या वाक्य में प्रयुक्त स्वर-व्यंजन के अनुसार ही होते हैं । अर्थात् उस भाषाओं में जैसे बोला जाता है वैसे ही लिखा जाता है और जैसे लिखा जाता है वैसे बोला भी जाता है । वाक्य या शब्द में लिखा गया | एक भी अक्षर स्वर या व्यंजन अनुच्चरित (silent) नहीं रहता है । हालाँकि प्राचीन काल में वेद वाक्य में प्रयुक्त स्वर का उच्चारण भी विशिष्ट पद्धति से किया जाता था अतः उस स्वर के स्वरभार को बताने के लिये। उसके ऊपर विशिष्ट चिह्न भी रखे जाते थे और उसका उच्चारण आवश्यक रूप से उन चिह्नों के अनुसार ही किया जाता था । उसका वैज्ञानिक कारण था । 2 देवनागरी लिपि के स्वर-व्यंजन की योजना व उसके उच्चारण पूर्णतः वैज्ञानिक है ऐसा आधुनिक विज्ञान के अनुसंधानों ने बताया है । देवनागरी लिपि में स्वर की संख्या चौदह बतायी है । अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ऋ, लृ, लृ, ए, ऐ, ओ, औ अं और अ में निर्दिष्ट और स्वर नहीं हैं। . | किन्तु उन दोनों का स्वतंत्र उच्चारण असंभव होने से उसके पूर्व में अ रखा गया है । अतः प्राचीन काल के सभी वैयाकरणों ने उनको स्वर के साथ स्थान दिया है । मंत्रशास्त्र में उसका विशेष महत्त्व होने से मंत्रशास्त्रकारों ने सोलह स्वर माने हैं । पाणिनीय परंपरा में दीर्घ ॠ और दीर्घ लृ नहीं बताये। है क्योंकि उनका प्रयोग ज्यादा नहीं होता है । जबकि सिद्ध हेमशब्दानुशासन Jain Education International · 94 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.229242
Book TitleDevnagari Lipi aur Uska Vaigyanik Mahattva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNandighoshvijay
PublisherZ_Jain_Dharm_Vigyan_ki_Kasoti_par_002549.pdf
Publication Year2005
Total Pages8
LanguageHindi
ClassificationArticle & Literature
File Size121 KB
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