________________ है / उनकी फूल की माला मुरझा जाती है और शरीर मलिन होने लगता है, | किन्तु जो देव एकावतारी अर्थात् तत्पश्चात् भव में ही मनुष्य होकर मोक्ष में जाने वाले हैं वे इस नियम में नहीं आते हैं / उनका आभामंडल प्रतिदिन ज्यादा तेजस्वी बनता है, फूल की माला मुरझा नहीं पाती / तदुपरांत इस आभामंडल अर्थात् जैविक विद्युद्चुबकीय क्षेत्र की तीव्रता का आधार मन की शक्ति या संकल्प शक्ति पर भी है / जैसे-जैसे जीव की संकल्प शक्ति तीव्र बनती है वैसे-वैसे उनका आभामंडल बड़ा व शक्तिशाली बनता है / अतः मनुष्य को अपनी मानसिक शक्ति संकल्पशक्ति को निरंतर शुभ विचार, मंत्रजाप और इष्ट देव के स्मरण द्वारा तीव्र बना सकता है / तीर्थकर परमात्मा के अद्भुत आभामंडल के बारे में विशेष विवेचन आगे के प्रकरण में दिया जायेगा / जे एगं जाणइ, से सव्वं जाणइ, जे सव्वं जाणइ से एणं जाणइ / आचारांग सूत्र JE EGAM JANAI SE SAVVAM JANAI. JE SAVVAM JANAI SE EGAM JANAI "ONE, by knowing which all is known. All, by knowing which one is known" Acaranga sutra 32 For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org