________________ प्रो. सागरमल जैन 201 (B) Indian Antiquary, Vol. Ix, Page 163. 11. बर्हिषि तस्मिन्नेव विष्णुदत्त भगवान् परमर्षिभिः नाभेः प्रिय चिकीर्षया तदवरोधाय ने मरुदेव्यां धर्मान् दर्शयितु कामो वातरशनानां श्रमणानामृषीणामूर्ध्वमन्धिना शुक्लया तन्वावतार / --श्रीमद्भागवत 513 120 12. देखें-- (अ) लिंगपुराण 48 119-23 (ब) शिवपुराण 52 185 (स) आग्नेयपुराण 10111-12 (द) ब्रह्माण्डपुसण 14 153 (इ) विष्णुपुराण-द्वितीयांश अ.1 126-27 (एफ) कूर्मपुराण 41 137-38 (जी) वराहपुराण अ.74 (एच) स्कन्धपुराण अध्याय 37 (आई) मार्कण्डेयपुराण अध्याय 50139-41 देखें अहिंसावाणी - तीर्थंकर भ. ऋषभदेव विशेषांक वर्ष 7 अंक 1-2 मरुपुत्र ऋषभ - श्री राजाराम जैन, पृ.87-92 13. वृषभ यथा शृंगे शिशानः दविध्वत् - वृषभ = बैल 8160113, 6 116 147, 7119 / / 14. वृषभः इन्द्रः वजं युजं - वृषभ = बलवान 1133 110 त्वं वृषभः पुष्टिवर्धन - वृषभ = वलिष्ट 1 131 15 15. देखें-- ऋषभ एवं बृषभ शब्द - संस्कृत हिन्दी कोश, वामन शिवराम आप्टे, मोतीलाल बनारसी दास, दिल्ली 1984, पृष्ठ 224 एवं 973 वृषभः = वर्षा करने वाला 515813 ज्ञातव्य है कि स्वामी दयानन्द ने इन्द्र के साथ प्रयुक्त वृषभ शब्द को इन्द्र का विशेषण मानकर उसका अर्थ वर्षा करने वाला किया है। देखें - 5143113,515816 17. वृषभः बृहस्पति = कामनाओं के वर्षक बृहस्पति - 10192 190 वृषभः प्रजा वर्षतीति वाति बृहतिरेत इति वा तद् वृषकर्मा वर्षणाद् वृषभः / - निरुक्तम् (यास्कमहर्षि प्रकाशितं) 912211 18. अनर्थका हि मन्त्राः - निरुक्त, अध्याय 1 खण्ड 15 पाद 5 सूत्र 2 - खेमराज श्रीकृष्णदास मुम्बय्यां संवत् 1982 19. ऋग्वेद भाषाभाष्य - दयानन्द सरस्वती - दयानन्द संस्थान, नई दिल्ली-5 देखें - ऋग्वेद 10 1111 12 का भाष्य। 20. ऋग्वेद का सुबोध भाष्य पद्मभूषण डॉ. श्री पाद दामोदर सतवलेकर स्वाध्याय मण्डल पारडी - जिला बलसाद, 1985 देखें ऋग्वेद 10111112 का भाष्य। 21. वहीं, देखें ऋग्वेद 4158 13 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org