________________ सन्दर्भ 1. बाइबिल, उद्धृत नये संकेत, आचार्यरजनीश, पृ. 57 2. इसिभासियाई, 17/3 3. आचारांग, 1/1/1 4. कठोपनिषद, 3/3 आचारांग, 2/3/15/1 सूत्रकृतांग, 1/12/11 उत्तराध्ययन, 32/2 8. वही, 26/60 6. वही, 32/2 10. वही, 32/102-106 11. दशवकालिक, 6/4 12. चन्द्रवेध्यक, 62 13. वही, 56 14, वही, 64 15. वही, 68 16. उत्तराध्ययनसूत्र, 11/3 17. वही, 11/4-5 18. चन्द्रवेध्यक, 77 16. रायपसेनीयसुत्त (घासीलाल जी म.) सूत्र 656, पृ. 338-341 20. समवायांग-समवाय 72 (देखें -- टीका) 21. रायसेनीयसुत्त (घासीलालजी म. ) सूत्र 656, पृ. 338-341 22. वही, पृ. 338-341 23. चन्द्रवेध्यक, 20 24. वही, 51-53 25. वही, 25,26 26. वही, 30 27. भगवतीआराधना, 528 28. वही, टीका 26. स्थानांग-स्थान, 8/15 30. प्रवचन सारोद्धार, दर 64 31. देखें -- उत्तराध्ययनसूत्र, अध्याय 1 एवं 11 32. चन्द्रवेध्यक, 53 33. उत्तराध्ययनसूत्र, 1/2-22 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org