________________ 348 आशित शाह Nirgrantha संवत् 1331 वैशाख सुदि 1 सोमे श्री प्राग्वाट ज्ञातीय महं. रूपासुत महं. साग( मन्देिन श्री आदिनाथ बिम्ब कारितं प्रतिष्ठितं / / (नाप (से. मी.) ऊँचाई - 21 लम्बाई - 14 चौड़ाई - 8.5.) 'मह' शब्द से सूचित है कि बनानेवाले मंत्री कुल के थे। 14. तीर्थङ्कर पार्श्वनाथ - पंचतीर्थी प्रतिमा - विक्रम संवत् 1353 (77) तीर्थङ्कर पार्श्वनाथ की यह प्रतिमा में अन्य प्रतिमाओं से कुछ विशेषता हैं, इस प्रतिमा में एक-दो प्रातिहार्य को छोड़कर अन्य प्रातिहार्य एवं किन्नर-गांधर्व आदि के अंकनों का अभाव है जो इस काल की अन्य प्रतिमाओं में होते है, दो नागफणा के आधार पर पद्मासन में तीर्थङ्कर बिराजित है, घुटने थोड़ी नीचे की ओर झुके हुए हैं। तीर्थङ्कर के दोनों ओर कायोत्सर्ग में दो तीर्थङ्कर छत्र युक्त, सप्तफणा के दोनों ओर पद्मासन में दो तीर्थकर पीठिका के मध्य में नवग्रह एवं दोनों छोर पर दो यक्षीयों के अंकन किए गए है। परिकर के ऊपरी भाग में स्तूपि खंडित हो चुकी है। ___. 1353 वै. सु. १३-श्री पार्श्व बिम्ब कारितं श्री~ग्रा. गच्छे श्री श्री चन्द्रसूरिभिः / प्रतिष्ठितं. (नाप (से. मी.) ऊँचाई - 8 लम्बाई - 8 चौड़ाई - 3.) 15. पार्श्वनाथ - एकतीर्थी प्रतिमा - विक्रम संवत् 1374 (46) द्विपीठिका पर आसीन जिन पार्श्वनाथ प्रातिहार्ययुक्त है। प्रथम पीठिका पर सिंहासन के दोनों छोर पर यक्ष-यक्षी और द्वितीय पीठिका पर मध्य में धर्मचक्र एवं दोनों ओर नवग्रह व पीठिका के भूतल पर मध्य में सर्प का लाञ्छन अंकन किया गया है। संवत् 1374 वर्षे माघ सुदि 10 गुरौ उकेसीय वंशे साधु तिहुण सुत भीमसीह भा / डाकेनबाई खे( षे )न्द्र श्रेयसे श्री पार्श्वनाथ बिम्ब का. प्रतिष्ठितं श्री परमानन्दसूरिभिः (नाप (से. मी.) ऊँचाई - 14 लम्बाई - 9 चौड़ाई -5.5.) 16. आदिनाथ - एकतीर्थी प्रतिमा - विक्रम संवत् 1391 (91) तीर्थङ्कर आदिनाथ प्रातिहार्य एवं द्विपीठिका युक्त, प्रथम पीठिका पर धर्मचक्र, नवग्रह एवं यक्ष-यक्षी, द्वितीय पीठिका के दोनों छोर पर श्रावक-श्राविका आदि का अंकन है। (सं. 1391 वर्षे प्रा. ज्ञा. श्रे. केलण भा. भोपल पु.--उभादेनलजी-पित्रो श्रेयसे श्री दि. बि. का. प्र.- श्री सर्वदेवसूरिभिः / ) (नाप (से. मी.) ऊँचाई - 11 लम्बाई - 6.5 चौड़ाई - 8.) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org