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शिवप्रसाद
Nirgrantha
जगच्चन्द्रसूरि
देवेन्द्रसूरि
विजयचन्द्रसूरि
क्षेमकीर्ति [वि. सं. १३३२ / ई. स. १२७६ में
बृहद्कल्पसूत्रवृत्ति के रचनाकारा
जैसा कि ऊपर कहा जा चुका है, बृहद् पौषालिक शाखा की एक पट्टावली' प्राप्त होती है । इसमें रचनाकार द्वारा विजयचन्द्रसूरि से लेकर धनरत्नसूरि एवं उनके शिष्यों तक की दी गयी गुरु-परम्परा इस प्रकार
विजयचन्द्रसूरि
वज्रसेन
क्षेमकीर्तिसूरि
पद्मचन्द्र
पद्मचन्द्र
हेमकलशसूरि
नयप्रभ
रत्नाकरसूरि
रत्नप्रभसूरि
मुनिशेखरसूरि
धर्मदेवसूरि
ज्ञानचन्द्रसूरि
अभयसिंहसूरि
जयतिलकसूरि
रत्नसागर
रत्नसिंहसूरि
धर्मशेखरसूरि
माणिक्यसूरि
जयशेखरसूरि
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हेमसुन्दर
उदयवल्लभसूरि
उदयधर्मगणि
शिवसुन्दरगणि
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