________________ कमलेश कुमार जैन Nirgrantha 30. योगसूत्र तत्त्ववैशारदी 4/13. 31. योगसूत्र भास्वती, पातंजल रहस्य 4/13. 32. योगभाष्य 4/13, द्रष्टव्य न्यायकुमुदचन्द्र भाग-२, पृष्ठ 628 टिप्पण. 33. लघीयस्त्रय, कारिका 44. 34. वही, कारिका 54. 35. न्यायविनिश्चय विवरण पृ. 32 ए, तत्त्वार्थश्लोकवार्तिक, पृ. 330, द्रष्टव्य न्यायकुमुदचन्द्र भाग-२ टिप्पण 5, पृष्ठ 661. 36. लघीयस्त्रय, कारिका 54 विवृति. 37. यह वाक्य आप्तपरीक्षा पृ. 42, सिद्धिविनिश्चय टीका पृ. 306 ए, सन्मति टीका पृ. 510, स्याद्वाद रत्नाकर पृ.१०८८, प्रमाणमीमांसा पृ. 34, शास्त्रवार्ता समुच्चय पृ. 151 ए, अनेकान्तजयपताका पृ. 207, धर्मसंग्रहणी पृ. 176, बी, बोधिचर्यावतार पृ. 398, तत्त्वार्थश्लोकवार्तिक पृ. 219, प्रमेयकमलमार्तण्ड पृ. 355, 502, स्याद्वादरत्नाकर पृ. 769, न्यायविनिश्चयविवरण पृ. 19 बी., स्याद्वाद मंजरी पृ. 206 आदि में उद्धृत मिलता है। 38. लघीयस्त्रय, कारिका 54 विवृति. 39. न्यायबिन्दुप्रकरण सटीकम् 1/6 पृ. 29, सम्पादक-स्वामी द्वारिकादास शास्त्री, बौद्धभारती, वाराणसी 1985. 40. लघीयस्त्रय, कारिका 66-67 विवृति. 41. सन्मतितर्कप्रकरण भाग-२, गुजरात पुरातत्त्व मन्दिर, संवत् 1982, 1/3, पृ. 271. (भोगीलाल लहेरचंद इन्स्टिट्यूट ऑफ इन्डोलोजी में "जैन संस्कृत टीका साहित्य में उद्धरणों का अध्ययन" विषयक एक बृहद् योजना का कार्य प्रगति पर है। प्रस्तुत निबन्ध उक्त योजना का अंग है / इसमें योजना के उद्देश्य के अनुसार प्रारम्भिक प्रयास है।) (लेखक महोदय ने सन्दर्भग्रन्थ की सूची नहीं दी है तथा समयाभाव के कारण हमने भी इस कमी की पूर्ति नहीं की / अतएव क्षमाप्रार्थी) विनीत सम्पादकद्वय Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org