________________ परिशिष्ट 25 अचेलश्रो अ जो धम्मो, जो इमो संतरुत्तरो / देसिओ बद्धमाणेणं: पासेण य महामुणी // 26 // एगकज्जपवन्नाएं, विसेसे कि नु. कारणं ? / लिंगे दुविहे मेहावी ! कहं विप्पच्चो न ते 1 // 30 // केसिं एवं बुवाणं तु, गोयमो इणमब्बवी / विन्नाणेण समागम्म, धम्मसाहणमिच्छियं // 31 // पच्चयत्थं च लोगस्स, नाणाविहविकप्पणं / जत्तत्थं गहणत्थं च, लोगे लिंगपोषणं / 32 / / उत्तराध्ययन केशीगौतमीयाध्ययन 23 / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org