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1. लोक का आयाम - विषकम्म (लम्बाई-चौडाई) समान ऊंचाई पर समान होनी चाहिए। 2. लोक की लम्बाई - चौडाई में उत्सेध की अपेक्षा कमिक वृद्धि-हानि होनी चाहिए । अर्थात लोक के ठीक मध्य में स्थित 1 राजू आयाम-विष्काम्भ वाले शुल्लक प्रतर से अधोलोक की ओर जाने पर अधोमुखी तिर्यक् वृद्धि (लम्बाई-चौडाई में वृद्धि), उर्ध्व लोक की और जाने पर अर्ध्व मुखी तिर्यक वृद्धि और ब्रह्म लोक के पास जहाँ लोक का बाहुल्य (लम्बाई- चौडाई) 5 राजू है, वहाँ से उपर जाने पर उर्ध्वमुखी तिर्यक् हानि होती है।
लोक का कुल आयतन 343 घनराजू है , जिसमें अधोलोक का घनफल 196 घनराजू और उर्ध्वलोक का घनफल 147 घनराजू है, इस मान्यता का उल्लेख भी श्वेताम्बर ग्रन्थों में है। किन्तु इसको सिद्ध करने की कोई भी गणितीक विधि वहाँ उपलब्ध नहीं होती है। यदि आधुनिक गणितिक विषयों में उक्त समस्या का अध्ययन किया जाये, तो ऐसा समाधान निकल सकता है, जो उल्लिखित मूल मान्यताओं के साथ संगत हो और उसमें गणितिक विधियों की पूर्णता भी सुरक्षित रहे । मुनि महेन्द्र कुमार ने गणितिक विधि से बताया कि यदि चित्र में अधोलोक और उर्ध्वलोक में लोक भी बाहारी सतहों को सपाट के स्थान पर वकाकार मान लिया जाय तो अधोलोक का घनफल 196 राजू, ऊर्ध्वलोक का घनफल 147 घनराजू ओर लोक का घनफल 343 घनराजू संभव हो जाता है। त्रसनाड़ी
तीनों प्रकार के लोक के मध्य में त्रस नाडी की स्थिति मानी गई है। यह त्रस नाडी 14 राजू ऊंची है ओर सर्वत्र 1 राजू विस्तार वाली है । त्रस जीव केवल त्रस नाडी में ही निवास करते हैं, त्रस नाडी के बाहर लोक में केवल निगोदिया जीव रहतें है। त्रस नाडी तीन भागों में विभक्त हैं यथा (1)अधोलोक (2)मध्यलोक (3)उर्ध्वलोक। इन तीनों लोक का विवरण इस प्रकार हैं।
Siddha Shila
G
Aaran Aanat
Satar Shukra Lantava Brahma
Ashtam Prithvi Anudisha Greveyaka Achyuta
Pranat 12 Sahastrar 10 Mahashukra
Kapistha Brahmottar
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Upper Loka
Sanatkumar
@Mahendra
Sodharma o
lo
Aishaan
Midda Loka Ratnaprabha
Sarkaraprabha
Balukaprabha
Pankprabha
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Dhoomprabha
Lower Loka
Tamaprabha
Mahatamaprabha
Niged