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________________ “श्री आदिनाथ महावीर साधूनां वर्षाया अभावेऽपि क्षेत्र सद्भावे उत्कृष्टतः चतुर्मासिकस्थितिरूपः पर्युषणाकल्पः प्रोक्तः। क्षेत्रस्य अभावे तु भाद्रपद सुदि पंचमी यावत् क्षेत्र गवेषणा कार्या, भाद्रपद सुदिपंचमीतः आरभ्य सप्तति (70) दिनस्थितिरूपोऽवश्यं कर्तव्य एव। तत्राऽप्ययं विशेषो, यथा-कदाचित् अशिवमुत्पद्यते, भिक्षा वा न लभ्यते, राजा वा दुष्टो भवति, ग्लानत्वं च जायते तदा सप्ततिदिनेभ्य अर्वागपि अन्यत्र गमने कारणत्वान्न दोषः। आचार्य कालक का इतिहास भी उक्त प्राचीन पक्ष का ही समर्थन करता है। कालकाचार्य उज्जयिनी में वर्षावास कर रहे थे, परन्तु वहाँ तत्कालीन राजा के विरोध के कारण उज्जयिनी से प्रतिष्ठान पुर को वर्षावास करने के लिए विहार कर दिया और प्रतिष्ठापुर के श्रमण संघ को सूचना दिला दी कि जबतक मैं आऊँ तबतक आप पर्युषण न करें-"पतिद्वानसमणसंघस्स य अज्जकालकेहिं संदिटुं जावाहं आगच्छामि ताव तुझेहिं णो पज्जोसियव्वं" -निशीथ चूर्णि, दशमोद्देशक। उक्त पाठ में आचार्य ने प्रतिष्ठानपुर के साधु संघ को जो यह सूचना दी कि मैं जबतक आऊँ तबतक पर्युषण न करें, इसका क्या अर्थ है? जब पर्युषण आज के अनुसार एकान्तरूप से भादवा सुदि पंचमी को ही होता था, पहले नहीं, तो उनके द्वारा 'पहले न करना' यह क्या सूचित करता है? यही तो सूचित करता है कि पर्युषण क्षेत्रीय परिस्थिति के अनुसार भादवा सुदि पंचमी से पहले, बहुत पहले भी होता था। आषाढ़ पूर्णिमा से लेकर 50 दिन तक कभी भी पर्व के दिन हो सकता था। पर्युषण का शब्दार्थ पर्युषण का मूल शब्दार्थ रहना है, स्थित होना है। 'वस' धातु निवास अर्थ में है। अतः शब्दार्थ की दृष्टि से भी ‘वर्षाकाल में साधू का एकत्र निवास' ही पर्युषण का मौलिक अर्थ प्रतिफलित होता है। आचार्य अभयदेव ने समवायांग (70) में 'पज्जोसवेइ' का संस्कृतार्थ 'परिवसति' किया है। पूज्य श्री घासीलालजी ने भी अपनी समवायांगटीका में 'पज्जोसवेइ' का अर्थ परिवसति' ही किया है। 'परिवसति' का अर्थ निवास करना है, रहना है, यह साधारण दशवीं कक्षा का संस्कृतपाठी बालक भी बता सकता है। पर्युषण : एक ऐतिहासिक समीक्षा 119 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.212404
Book TitleParyushan Ek Aetihasik Samiksha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherZ_Pragna_se_Dharm_ki_Samiksha_Part_02_003409_HR.pdf
Publication Year2009
Total Pages31
LanguageHindi
ClassificationArticle, 0_not_categorized, & Paryushan
File Size1 MB
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