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________________ भूमि सम्मेतशिखर है। वे जब गर्भ में पाए, तब माता की बुद्धि बहुत श्रेष्ठ और तीव्र हो गई थी, अतः उनका नाम सुमतिनाथ रखा गया । ६. पद्मप्रभः भगवान् पद्मप्रभ छठे तीर्थकर थे। उनका जन्म वत्स देश में कौशाम्बी नगरी के राजा श्रीधर के यहाँ हुआ था। माता का नाम सुसीमा था। जन्म कार्तिककृष्णा द्वादशी को और निर्वाण मार्गशीर्ष कृष्णा एकादशी को हुआ था। निर्वाण-भूमि सम्मेतशिखर है। ७. सुपार्श्वनाथ : भगवान् सुपार्श्वनाथ सातवें तीर्थंकर थे। उनकी जन्मभूमि काशी (वाराणसी), पिता राजा प्रतिष्ठेन और माता पृथ्वी थीं। आपका जन्म ज्येष्ठशुक्ला द्वादशी को और निर्वाण भाद्रपद कृष्णा सप्तमी को हुआ था । निर्वाण-भूमि सम्मेतशिखर ही है। ८. चन्द्रप्रभ: . भगवान् चन्द्रप्रभ पाठवें तीर्थंकर थे। उनकी जन्मभूमि चन्द्रपुरी नगरी थी। पिता राजा महासेन और माता लक्ष्मणा थीं। भगवान् चन्द्रप्रभ का जन्म पौषशुक्ला द्वादशी को और निर्वाण भाद्रपद कृष्णा सप्तमी को हुआ था। निर्वाण-भूमि सम्मेतशिखर है। ६. सुविधिनाथ : भगवान् सुविधिनाथ (पुष्पदन्त) नौवें तीर्थंकर थे। उनकी जन्मभूमि काकन्दी नगरी थी। पिता राजा सुग्रीव एवं माता रामादेवी थीं। आपका जन्म मार्गशीर्ष कृष्णा पंचमी को और निर्वाण भाद्रपद शुक्ला नवमी को हुआ था। निर्वाण-भूमि सम्मेतशिखर है। १०. शीतलनाथ : भगवान् शीतलनाथ दशवें तीर्थंकर थे। उनकी जन्मभूमि भहिलपुर नगरी थी। पिता राजा दृढ़रथ और माता नन्दारानी थीं। आपका जन्म मावकृष्णा द्वादशी को और निर्वाण वैशाख-कृष्णा द्वितीया को हुआ था। निर्वाण-भूमि सम्मेतशिखर है। ११. श्रेयांसनाथ : भगवान् श्रेयांसनाथ ग्यारहवें तीर्थंकर थे। उनकी जन्मभूमि वाराणसी के पास सिंहपुर नगरी थी। पिता राजा विष्णुसेन और माता विष्णुदेवी थीं। आपका जन्म' फाल्गुनकृष्णा द्वादशी को और निर्वाण श्रावणकृष्णा तृतीया को हुआ था। निर्वाण-भूमि सम्मेतशिखर है। ऐसा कहा जाता है कि भगवान् महावीर ने पूर्व-जन्म में त्रिपृष्ठ वासुदेव के रूप में भगवान् श्रेयांसनाथजी के चरणों में उपदेश प्राप्त किया था। १२ वासुपूज्य: भगवान् वासुपूज्य बारहवें तीर्थंकर थे। उनकी जन्मभूमि चम्पा नगरी थी। पिता राजा वासुपूज्य और माता जयादेवी थीं। आपका जन्म फाल्गुन कृष्णा चतुर्दशी को और निर्वाण आषाढ़ शुक्ला चतुर्दशी को हुआ था। निर्वाण-भूमि चम्पा नगरी है । वे आजन्म बालब्रह्मचारी रहे, विवाह नहीं किया। १३ विमलनाथ : ___ भगवान् विमलनाथ तेरहवें तीर्थंकर थे। उनकी जन्मभूमि पांचाल देश में कम्पिलपुर नगरी थी। पिता राजा कर्तृ वर्म और माता श्यामादेवी थीं। आपका जन्म माघ शुक्ला तृतीया और निर्वाण आषाढ़-कृष्णा सप्तमी को हुआ था। निर्वाण-भूमि सम्मेतशिखर है। तीर्थंकर : मुक्ति-पथ का प्रस्तोता For Private & Personal Use Only ३३ Jain Education Intemational www.jainelibrary.org
SR No.212349
Book TitleTirthankar Mukti Path Ka Prastota
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherZ_Panna_Sammikkhaye_Dhammam_Part_01_003408_HR.pdf
Publication Year1987
Total Pages16
LanguageHindi
ClassificationArticle & 0_not_categorized
File Size1 MB
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