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वर्तमान कालचक के चौबीस तीर्थंकर :
वर्तमान काल-प्रवाह में चौबीस तीर्थंकर हुए हैं। प्राचीन धर्म-ग्रन्थों में चौबीसों ही तीर्थंकरों का विस्तृत जीवन चरित्र मिलता है । परन्तु यहाँ विस्तार में न जाकर संक्षेप में चौबीस तीर्थंकरों का परिचय प्रस्तुत है ।
१. ऋषभदेव :
भगवान् ऋषभदेव सर्वप्रथम तीर्थंकर थे । उनका जन्म मानव सभ्यता के प्रादिकाल युगलियों के भोगप्रधान श्रकर्म-युग में हुआ था, जब मनुष्य वृक्षों के नीचे रहते थे और वनफल तथा कन्दमूल खाकर जीवन यापन करते थे। उनके पिता का नाम नाभिराजा श्रौर माता का नाम मरुदेवी था । उन्होंने युवावस्था में कर्म प्रधान आर्य सभ्यता की नींव डाली । पुरुषों को बहत्तर और स्त्रियों को चौसठ कलाएँ सिखाईं। राजनीति, कृषि, व्यापार, उद्योग आदि का शिक्षण दे कर मात्र प्रकृति पर ग्राश्रित मानव जाति को अपने पुरुषार्थ एवं कर्म पर खड़ा किया। जैन- पुराणों के अनुसार कोशल देश में अयोध्या - विनीता नगरी की स्थापना भी ऋषभदेव ने की। वे विवाहित हुए। बाद में राज्य त्यागकर दीक्षा ग्रहण की और कैवल्य प्राप्त किया । भगवान् ऋषभदेव का जन्म, चैत्रकृष्णा अष्टमी को और निर्वाणमोक्ष, माघ कृष्णा त्रयोदशी को हुआ। उनकी निर्वाण-भूमि प्रष्टापद ( कैलाश ) पर्वत है । ऋग्वेद, विष्णुपुराण, अग्निपुराण, भागवत ग्रादि वैदिक साहित्य में भी उनका गुण-कीर्तन किया गया है।
२. अजितनाथ :
भगवान् अजितनाथ दूसरे तीर्थंकर थे। उनका जन्म अयोध्या नगरी में इक्ष्वाकुवंशीय क्षत्रिय सम्राट् जितशत्रु राजा के यहाँ हुआ। माता का नाम विजयादेवी था । भारतवर्ष के दूसरे चक्रवर्ती सगर इनके चाचा सुमित्रविजय के पुत्र थे । भगवान् अजितनाथ का जन्म माघशुक्ला अष्टमी को और निर्वाण चैत्रशुक्ला पंचमी को हुया । उनकी निर्वाण-भूमि सम्मेतशिखर है, जो आजकल दक्षिण- बिहार में पारसनाथ पहाड़ के नाम से प्रसिद्ध है ।
३. संभवनाथ :
भगवान् संभवनाथ तीसरे तीर्थंकर थे । उनका जन्म उत्तर प्रदेश में श्रावस्ती नगरी में हुआ था। पिता का नाम इक्ष्वाकुवंशीय महाराजा जितारि और माता का नाम सेनादेवी था। उन्होंने पूर्व जन्म में विपुलवाहन राजा के रूप में अकालग्रस्त प्रजा का पालन किया था और अपना सब कोप दीनों के हितार्थ लुटा दिया था । भगवान् संभवनाथ का जन्म मार्गशीर्ष शुक्ला चतुर्दशी को और निर्वाण चैत्रशुक्ला पंचमी को हुआ । इनकी भी निर्वाण-भूमि सम्मेतशिखर है ।
४. अभिनंदन :
भगवान् अभिनंदननाथ चौथे तीर्थंकर थे। इनका जन्म अयोध्या नगरी के इक्ष्वाकुवंशीय राजा संबर के यहाँ हुआ था। माता का नाम सिद्धार्था था । भगवान् ग्रभिनंदननाथ का जन्म माघशुक्ल द्वितीया को और निर्वाण वैशाखगुक्ला अष्टमी को हुआ था। इनकी निर्वाणभूमि भी सम्मेतशिखर है।
५. सुमतिनाथ :
भगवान् सुमतिनाथ पाँचवें तीर्थंकर थे। उनका जन्म अयोध्या नगरी ( कौशलपुरी) में हुआ था। उनके पिता महाराजा मेघरथ और माता सुमंगलादेवी थीं । भगवान् सुमतिनाथ का जन्म वैशाखशुक्ला भ्रष्टमी को तथा निर्वाण चैत्रशुक्ला नवमी को हुआ था । निर्वाण
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