________________ 140 जैन विद्या एवं प्राकृत : अन्तरशास्त्रीय अध्ययन (र) पादाभूषण-नूपुर, तुलाकोटि, गोमुख मणि आदि की गणना प्रमुख पादाभूषणों में होती थी। यह नारियों का आभूषण होता था। 1. नपुर २२–इस आभूषण को स्त्रियाँ पैरों में धारण करती थीं / नुपुर में घुघरू लगने के कारण मधुर ध्वनि निकलती थी। मणिनूपुर, शिञ्जितनूपुर, भास्वतकलानूपुर आदि चार प्रकार के नूपुरों का वर्णन मिलता है।२३।। 2. तुलाकोटि ६४—तुला अर्थात् तराजू की डण्डी के सदृश आभूषण के दोनों किनारे किञ्चित् घनाकार होने के कारण ही इसका नाम तुलाकोटि पड़ा। इसका उल्लेख बाणभट्ट ने हर्षचरित में किया है / 25 / / 3. गोमुखमणि-इस प्रकार के मणियुक्त आभूषण को गोमुखमणि की संज्ञा प्रदान की गई है। इसका आकार गाय के मुख के समान होता था१२६ / प्राचीन इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्त्व विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, इलाहाबाद, उत्तर-प्रदेश / 122. हरिवंश, 14 / 14, महा, 6 / 63, 16 / 237, पद्म 27 / 32, तुलनीय रघुवंश, 13.23 / 123. कुमारसम्भव, 1.34, ऋतुसंहार, 4.4, विक्रमोर्वशीयं, 3 / 15 / 124. महा, 9 / 41; नेमिचन्द्र, आदिपुराण में प्रतिपादित भारत, पृ० 222 / 125. द्रष्टव्य, गोकुलचन्द्र जैन-यशस्तिलक का सांस्कृतिक अध्ययन, पृ० 151 / 126. महा, 14 / 14 / परिसंवाद-४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org