________________ जैनधर्म एवं प्राकृत : अन्तरशास्त्रीय अध्ययन कर दिये गये। नये स्मार्त धर्म ने देश-काल के अनुरूप धर्म-दर्शन के नये आयाम स्थापित किये। जैनधर्म के अहिंसा तथा समता भाव ने इन आयामों के निर्माण को प्रोत्साहन दिया / वर्णाश्रम, संस्कार, प्रशासन, अर्थनीति आदि की तत्कालीन व्यवस्था का जैन धर्म ने विरोध नहीं किया, अन्यथा अनेक सामाजिक जटिलताएँ उपस्थित होतीं / जैन शासकों, व्यापारियों तथा अन्य जैन धर्मावलंबियों ने उन सभी कल्याणकारी परिवर्तनों को प्रेरणा दी तथा उनका निर्माण पूरा कराया जो राष्ट्रीय भावना के विकास में सहायक थे। भारत की व्यापक सार्वजनीन संस्कृति के निर्माण में जैन धर्म का निस्संदेह असाधारण योगदान है। पद्माकर नगर, सागर, मध्यप्रदेश / परिसंवाद-४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org