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- ५ - II शब्दों का वर्गीकरण
३0. व्याकरणात्मक रूपों के वर्गीकरण के बारें में
कौनसा तरीका अपनाया जाए १ यो स्पीय व्याकरण की तरह आठ जातियां लें या संस्कृत के अनुसार नाम, क्रियाएं एवं अव्यय ले १ या अन्य किसी समन्वयात्मक पध्दती
का अवलंब किया जाए ? ३१. केवल नाममात्र दर्जे के अनुसार पब्दिों की
जाति निर्णित की जाए क्या १ आवश्यक या सुविधाजनक महसूस होने पर शब्द . संबन्ध या शब्दरचना की तला न ले तो
चल सकता है क्या ? ३२. नामों या क्रियाओं को छोड किया विशेषण
कृदन्त, परसर्ग, उपसर्ग आदि के लिए अविभक्तिक संज्ञा से काम चल सकेगा १ जिनके अन्यान्य रूप बनते है ऐसे विशेषण सर्वनाम संख्या विशेषण आदि का अन्तभाव नाम-वर्ग में करे क्या ?
रूपों की नोध ३३. क्रियाओं के विभिन्न रूपों की सिर्फ नोंध
की जाए या उनके पुरुष, वचन, काल आदि
के प्रयोग भी दिये आएं १ । ३४. क्रियाओं के रूप देते समय केवल अनियमित वा . पर्यायी रूपों की ही नोंध सिमित हो ? क्या नामों के स्पों के बारेमें भी यही तरीका
अपनाया जाएँ ? ३५. नामों के सभी रूप एकही स्थानपर दिए जाएं
या उदाहरणसहित विभक्ति एवं वचन के। अनुसार विविक्त अर्थों में विभाजित किये जाएं १ देखिए क्रिटिकल पाली डिक्शनरी में "आकार" [
शुध्दिलेखन पध्दति ३६.. विचार यह किया गया है कि प्रथम प्राकृत
ब्द एवं तदनंतर तत्सम संस्कृत पाब्द देवनागरी में दिये जाएं । तो क्या प्राकृत एवं तत्सम संस्कृत शब्दों के रूप भी देवनागरी में देना आवश्यक है ?