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________________ मायागारम पमयमा नोकरीत आगागा मतारांति मिक्खयाइ एवं निरागारं पश----- ........Triह कालाई भिक्खादि महत्र दाले / जे अन्नपरिचायं मारेति परिमाण मे पं // 13 // -------------- मत्व असणं सत्वं च पाणगं सखरखज्जभुजविही / लोसिरद मनभावेश भणियमेयं विश्व में In --------अंगुहगड मुट्टी घर से उम्माम पिनुक जो इक्सा प्रणिये संकेयमिणं धीरेहिं प्रणतनाणीहिंाशा मजापञ्चम्खाणं जंतं कालप्पमाण एहिं पुरिमा पोरिसीहिंमुहल-मामड-मासे हिं पहा ननबार पोरिकीट पुरिनटे कामगठाणे या आंबित प्रमत्तले चरिमे अभिगो विगई IT दो पेज नमुक्कारे 'आगारा छञ्च पोरिमीए या सन्नेव य पुरिमटे एगामणगम्मि प्रदेवाचा ----पंच यारो अभिगरे निविर अनव यमासा अप्पारणे पंचमहबंति सेमेसु चत्तारिशका - नवी मोगाहिमो अद्दन दहि पिनिय घय गुले वानर आगारा तेभि सेमदल्याणं तु अहेव गाणा... ..------------प्रम मोय मत्तम माजगाराइ खन्जाविहीएमसीराइ सूरणाई-उगामिदमो-चित्रेया---
SR No.212308
Book TitleGuruvandan Bhashya
Original Sutra AuthorN/A
Author
Publisher
Publication Year
Total Pages7
LanguageHindi
ClassificationArticle
File Size1 MB
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