________________ हिन्बी जैन कवियों को छन्द-योजना 615 71 जैन कवियों के हिन्दी काव्य का काव्यशास्त्रीय मूल्यांकन, पृष्ठ 245, डा. महेन्द्रसागर प्रचंडिया / 72 श्रीसम्मेदाचल पूजा, जवाहरलाल / छहढाला तथा दौलत विलास, दौलतराम / 73 सप्तर्षि पूजा मनरंग लाल जी वर्द्धमानपुराण, नवलशाह / 74 वर्द्धमानपुराण, नवलशाह; छहढाला, दौलतराम तथा श्री सम्मेदशिखर पूजा, जवाहरलाल / 75 गिरिनार सिद्ध क्षेत्र पूजा, रामचन्द्र। 76 बुधजन सतसई, बुधजन तथा दौलत विलास, दौलतरामजी / 77 छहढाला, दौलतराम, श्री सम्मेदशिखर पूजा, जवाहर लाल, श्री पार्श्वनाथ पूजा, बख्तावरजी / पावापुर सिद्धक्षेत्र पूजा, दौलतराम जी / 78 श्री सम्मेदशिखर पूजा, जवाहरलाल / 76 वही, 80 छहढाला, दौलतराम जी, सप्तर्षि पूजा, मनरंगलाल जी। 81 शीतलनाथ पूजा, मनरंगलाल जी, श्री सम्मेद शिखर पूजा, जवाहरलाल जी, छहढाला, दौलतराम जी / 82 शीतलनाथ जिन पूजा, मनरंगलाल जी। 83 श्री सम्मेद शिखर पूजा, रामचन्द्र / 84 श्री पार्श्वनाथ जिन पूजा, बख्तावरमल जी। 85 भक्तामर स्तोत्र हिन्दी भाषानुवाद, हेमराज / 86 जैन कवियों के हिन्दी काव्य का काव्यशास्त्रीय मूल्यांकन, पृष्ठ २५८-डा. महेन्द्रसागर प्रचंडिया 87 श्री सम्मेदशिखर पूजा, जवाहरलाल जी। 88 श्री सम्मेदशिखर पूजा, कविवर रामचन्द्रजी; वही, जवाहरलालजी / 56 आलोचना पाठ, कविवर श्री जौहरी / 6. शीतलनाथ जिन पूजा, मनरंगलालजी / 61 छहढाला, छठी ढाल, दौलतरामजी। -------- PRO ----पूष्करवाणी ---------------------- ------------------------ory कपड़ा चाहे जितने विभिन्न रूपों में है, आखिर वह है क्या ? सूत का तानाबाना ! और सूत क्या है-रुई का लम्बा कता हुआ रेशा ! यह देह, चमड़ी चाहे जितनी विभिन्न आकृतियाँ व रूप धारण कर ले आखिर है क्या ? पाँच तत्त्वों का पिण्ड मात्र I और पंचतत्त्व क्या हैं ? पुद्गल समूह मात्र! फिर कपड़े पर इतना राग और द्वेष क्यों ? देह पर इतनी ममता और घृणा क्यों ? 0-0--0--0--0--0--0--0--0--0--0--0--0-------------- -------------- 1 Jain Education Interational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org