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________________ 0000000000002 POS000RR60000000 09000. 8 | 606 1606 उपाध्याय श्री पुष्कर मुनि स्मृति-ग्रन्थ / उपर्युक्त को ध्यान रखते हुए क्रियाएँ, आचरण या व्यवहार कोई रोग या विकार उसे पीड़ित नहीं कर सकता। वही संयम जब करना विहार कहलाता है। इसके लिए आयुर्वेद में दिनचर्या, बिगड़ जाता है तो उसका प्रभाव शरीर में स्थित दोषों पर पड़ता निशाचर्या और ऋतु चर्या का निर्देश किया गया है और यह कहा। जिससे उनमें विषमता उत्पन्न हो जाती है और फिर रोग उत्पन्न होने गया है कि इन चर्याओं का नियमानुसार आचरण करने वाला की प्रक्रिया प्रारम्भ हो जाती है। 300000 व्यक्ति स्वस्थ रहता है और जो उनके अनुसार आचरण नहीं करता मनुष्य के आहार-विहार के अन्तर्गत आयुर्वेद में तीन उपस्तम्भ है वह अस्वस्थ या रोगी हो जाता है। निम्न आर्ष वचन द्वारा बतलाए गए हैं-आहार, निद्रा और ब्रह्मचर्य। ये तीनों ही सुदृढ़ - उपर्युक्त कथन की पुष्टि होती है स्वास्थ्य के आधार माने गए हैं। सम्पूर्ण आहार विहार इन तीन दिनचर्या निशाचर्या ऋतुचर्या यथोदिताम्। उपस्तम्भों में ही समाविष्ट है। यही कारण है कि प्राचीन काल में आचरन् पुरुषः स्वस्थः सदा तिष्ठति नान्यथा॥ इनके पालन-आचरण पर विशेष जोर दिया जाता रहा है। स्वविवेकानुसार यदि इनका पालन एवं आचरण किया जाता है तो प्रातःकाल उठकर नित्य क्रियाएँ करना, शौच आदि से निवृत्त मनुष्य आजीवन स्वस्थ तो रहता ही है, वह दीर्घायुष्य भी प्राप्त होकर आवश्यकता एवं क्षमता के अनुसार अभ्यंग, व्यायाम आदि करता है। करना, तदुपरान्त स्नान करना, समयानुसार वस्त्रा धारण करना, देव दर्शन करना, स्वाध्याय करना, ऋतु के अनुसार आहार लेना, पता: अन्य दैनिक कार्य करना, सायंकालीन आहार लेना, विश्राम करना, सुशीला देवी जैन, रात्रि के प्रथम प्रहर में अध्ययन-स्वाध्याय करना आदि, तत्पश्चात् आरोग्य सेवा सदन, शयन करना-यह सब विहार के अन्तर्गत समाविष्ट है। मनुष्य यदि सी. सी./११२ए, शालीमार बाग, अपने आचरण को देश, काल, ऋतु के अनुसार संयमित रखता है तो दिल्ली-११००५२ 200 माँसाहार के कारण किस तरह हमारी खनिज संपदा उजड़ रही है इसे मात्र इस तथ्य से जाना जा सकता है कि यदि मनुष्य माँस केन्द्रित आहार छोड़ दे तो जो पेट्रोल भण्डार उसे प्राप्त है वह 260 वर्षों तक चल सकता है। किन्तु यदि उसने ऐसा नहीं किया तो यह भण्डार सिर्फ 13 वर्ष चलेगा (रिएलिटीज 1989) / वस्तुतः हम पेट्रोल का दोहन तो बेतहाशा कर रहे हैं; किन्तु फॉसिल-ऊर्जा के रूप में वनों द्वारा उसे धरती को वापिस नहीं कर रहे हैं। -डॉ. नेमीचन्द जैन (शाकाहार मानव-सभ्यता की सुबह : पेज 81 से) ततक्यात BEDSP ganelligence DDDESHDOODS
SR No.212261
Book TitleSwasthya Raksha ka Adhar Samyag Ahar Vihar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSushila Jain
PublisherZ_Nahta_Bandhu_Abhinandan_Granth_012007.pdf
Publication Year
Total Pages3
LanguageHindi
ClassificationArticle & Food
File Size3 MB
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