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________________ 260 मुनिद्वय अभिनन्दन ग्रन्थ भंजक, न्यायप्रिय विक्रमादित्य, सरस्वतीपुत्र सम्राट भोज, धर्मानुरागी सम्राट् दशार्णभद्र, कवि-कुल-भूषण कालिदास, कवि माघ वल्लभाचार्य, तो श्रमण संस्कृति के ज्योतिधर महामनस्वी आचार्य मानतुंग, आ० श्री शिवलाल जी महाराज, कविकुलभूषण स्व० आ० श्री त्रिलोक ऋषि जी महाराज (रतलाम), अखण्ड यशोदधि शास्त्रविशारद् स्व० आ० श्री मन्नालालजी महाराज (रतलाम), आदर्शत्यागी सपरिवार संयमी स्व० श्री तपस्वी रतनचन्द्रजी महाराज इन्हीं के पुत्र रत्न स्व० गुरुजी श्री जवाहरलाल जी महाराज, स्व० कविकोविद श्री हीरालाल जी महाराज, वाद-कोविद स्व० गुरुदेव श्री नन्दलालजी महाराज, स्व. श्री उत्तमचन्द जी महाराज (कंजाड़ा), आगमोद्धारक स्व. आ० श्री अमोलक ऋषिजी महाराज (भोपाल), अनेक ग्रन्थों के महान् लेखक प्रसिद्ध वक्ता जगत्वल्लभ जैन दिवाकर गुरुदेव श्री चौथमलजी महाराज (नीमच), प्रज्ञाधनी सलाहकार स्व० श्री केशरीमलजी महाराज (जावरा), दीर्घ द्रष्टा साहित्य प्रेमी स्व० उपाध्याय श्री प्यारचन्द जी महाराज (रतलाम), प्र. पं० श्री भगवानलाल जी महाराज (मन्दसौर), स्थविर पद-विभूषित शासन सम्राट् मालवरत्न पूज्य गुरुदेव ज्योतिर्धर श्री कस्तूरचन्दजी महाराज (जावरा), मालवकेशरी श्री सौभाग्यमलजी महाराज (खाचरोद), आगम विशारद् पं० श्री हीरालालजी महाराज (मन्दसौर)। इसी प्रकार महाभाग्यवंता महासती श्री रंगुजी महाराज, महातपस्वी श्री केशरकुंवरजी महाराज, ओजस्वी वक्ता श्री बड़े हगामकुंवरजी महाराज (संजीत), प्रसिद्ध वक्ता श्री मेहताबकुवरजी महाराज, स्व० श्री मेनकुवरजी महाराज, तपस्वी श्री रूपकुवरजी महाराज एवं चिरायु श्री केशरकुवर जी महाराज (जावरा वाले) आदि अगणित साधकों की पादधूलि से यहाँ का चप्पा-चप्पा पवित्र हो चुका है। विशेषत: मर्यादा पुरुषोत्तम श्री रामचन्द्रजी की विहार-स्थली, द्वारिकाधीश श्रीकृष्ण वासुदेव की शिक्षास्थली रही है। चौबीसवें तीर्थंकर भगवान महावीर के उपदेश का इस भूमि को सौभाग्य प्राप्त हो चुका है। जिन्होंने केवल अपने कार्य क्षेत्र का विस्तार ही नहीं किया, अपितु मानव-समाज की अमिट सेवाएं की हैं / साहित्यकला एवं संस्कृति में जिनके सत्कर्तव्य आज इतिहास के धवलपृष्ठों पर अमर बन चुके हैं / जिनकी साहित्यिक एवं धार्मिक देन सदियों तक मार्ग-दर्शन करती रहेगी। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.212198
Book TitleSahitya evam Kala ki Punyabhoomi Malva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRameshmuni
PublisherZ_Munidway_Abhinandan_Granth_012006.pdf
Publication Year
Total Pages3
LanguageHindi
ClassificationArticle & 0_not_categorized
File Size364 KB
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