________________ DPS 0000000000000000000000000000000000000000000 FOR&0000DP680.0 2000000000000000000000000000 | संथारा-संलेषणा : समाधिमरण की कला 655 163. सुरां पीत्वा द्विजो महोदग्निवर्णा सुरां पिबेत्। तया स काये निर्दग्धे मुच्यते किल्विषात्त त्तः॥ -मनुस्मृति : 11, 90, 91, 103, 104 164. याज्ञवल्क्य स्मृति 3, 248, 3-253 165. गौतम स्मृति 23,1 166. (क) वशिष्ठ स्मृति 20, 13-14 -वशिष्ठ स्मृति 12-15 167. आपस्तंबीय धर्मसूत्र 19, 25, 1-2-3-4-5-6-7 168. महाभारत-अनुशासन पर्व, अ. 12 169. महाभारत अनुशासन पर्व 25, 61-64 170. बही. वनपर्व 85-83 171. मत्स्यपुराण 186, 34-35 172. न वेदवचनात् तात! न लोकवचनादपि। मतिरुत्क्रमणीया ते प्रयाग मरणं प्रति॥ -महाभारत, वनपर्व 85, 83 173. कूर्मपुराण 1,36,147,1,373, 4 174. पद्मपुराण आदिकाण्ड, 44-3, 1-16-14, 15 175. स्कंदपुराण 22, 76 176. मत्स्यपुराण 186, 34-35 177. ब्रह्मपुराण 68,75, 177, 16-17, 177, 25 178. लिंगपुराण, 92, 168-169 १७९.अग्निपुराण 111, 13 180. मनुस्मृति 116, 31 181. याज्ञवल्क्य स्मृति 113, 55 182. महाभारत-महाप्रस्थानिक पर्व 218, 12-18-23, 3, 5-7 तथा 3, 6-22-28 183. धर्मशास्त्र का इतिहास, पृ. ४८७-डॉ. पा. वा. काणे 184, याज्ञवल्क्य स्मृति 3, 6 की अपरार्क टीका से उद्धृत। 185. अत्रि स्मृति 218-219 186. याज्ञ. 1, 86 की मिताक्षरी टीका 187. विष्णुपुराण 5, 38, 2 188. रामायण 2, 66,12, 5, 13, 19, 307,17,15 189. प्रथम संस्थिता भार्या पतिं प्रेत्य प्रतीक्षते। पूर्व-मृतं च भर्तारं पश्चात् साध्व्यनुगच्छति। -महाभारत 1,74, 46, 1, 125, 30-31 980. History of Suicide in India. -Dr. Upendra Thakur. p.p. 107, 110-111 191. Thou shalt not kill, neither thyself nor mother. 192. भृगुप्रपतनाद्राज्यं नाकपृष्ठनाशकात्। 193. यज्ञ. 3, 6 टीका में अपरार्क द्वारा उद्धृत। 194. महाभारत-अनुशासन पर्व 7, 18, 1-9 195. संभावितस्य चाकीर्तिमरणादप्यतिरिच्यते। -गीता. 2,34 कण्यFOURQUMATOL D ectio /09.0.000. DIDS0.000000000090.803 O राजव्ययययययनपणच्या CTERPRIales-periens GREECHNO.000 Dada.00000.0DDOO 0.05 कलय -606 0000sriesdeshed 9060036