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पंचम खण्ड /२१२
अर्चनार्चन
बैबल में वर्णित चमत्कार
कुछ व्यक्ति बैबल में वणित चमत्कारों को योग द्वारा मानते हैं। उदाहरणस्वरूप देखें तो बैबल के पुराने नियम में एलिशा नबी का वर्णन है। एक दिन एक विधवा स्त्री एलिशा के पास आई और उसने निवेदन किया कि मुझे महाजन का ऋण देना है। महाजन मेरी सन्तानों को बेच देने का भय दिखा रहा है। अतः मेरी रक्षा कीजिये । एलिशा ने पूछातुम्हारे घर में कोई सम्पत्ति है या नहीं? स्त्री ने उत्तर दिया कि एक छोटे से बर्तन में केवल थोड़ा सा तेल है । एलिशा ने उत्तर दिया--"जानो अपने पड़ोसियों के घरों से मांगकर बड़े-बड़े जितने बर्तन मिल सके, ले पात्रो और अपने उस तेल के बर्तन से तेल डाल-डालकर उन सब बर्तनों को भर दो, देखोगी जितना डालोगी उतना ही बढ़ता जायेगा। सब बर्तन भर जायेंगे। फिर उस तेल को बेचकर ऋण चुका देना और जो कुछ बच रहे उसे अपने निर्वाह के लिए रख लेना।"'८ ऐसा ही हया । इसी प्रकार एक बार एलिशा ने सात सौ लोगों को भोजन करवाया था।'' प्रश्न उपस्थित होता है कि क्या एलिशा एक योगी था ?
प्रभु यीशुमसीह के चमत्कार तो बहुत प्रसिद्ध हैं। उन्होंने मुर्दो को जिलाया, कोढ़ियों को शुद्ध किया, पांच हजार लोगों को भोजन करवाया, पानी पर चले, हवा और तूफान को शान्त किया, पानी को दाख-रस बनाया, अन्धों को अांखें दी ग्रादि-आदि। यह सब तथ्य उनके पूर्णयोगी एवं निष्कलंक-अवतार होने के संकेत देते हैं । एलिशा और प्रभु यीशु मसीह के शिष्यों ने भी चमत्कार किये किन्तु वे सब परमेश्वर के अनुग्रह के कारण थे और यहीं मसीही योग और भारतीय योग में अन्तर दिखाई देता है। मसीही योग और भारतीय योग में अन्तर
भारतीयदर्शन के अनुसार एक योगी कर्म न करते हुए ध्यान करता है जिसके कारण उदासीनता दृष्टिगोचर होती है किन्तु मसीहीधर्म सेवा की भावना को जन्म देता है। फाश्वीर उनकी पुस्तक 'दी क्राउन प्रॉफ हिन्दूइज्म' में लिखता है
"Instead of the action which comes from indifference Christ commands the service which springs from love."20
पादरी प्रार्थर ई. मेसी लिखते हैं कि प्रेम के बिना परमात्मा से मिलने की सारी अाकांक्षाएं, योग की सारी प्रक्रियायें और उसके विविध प्रकार व्यर्थ एवं निष्फल हैं और वे बैबल से उद्धत करते हैं कि “यदि कोई मनुष्य मेरा अनुसरण करना चाहता है तो वह अपना अहंकार त्याग दे और प्रतिदिन अपना क्रूस उठाकर मेरे पीछे हो लें। न्यूनर का कथन है कि योग और मसीही पूर्णता में जो भेद है कि एक मसीही अनुग्रह का जीवन जीता है जो परमेश्वर का वरदान है ।२२
मनुष्य को परमात्मा को खोजने की आवश्यकता नहीं है, वह उसको श्वास से भी बहुत करीब उसके पास है । पौलुस कहता है, "मैं नहीं किन्तु प्रभु मुझ में जीता है।"
मसीही योग द्वारा एक मसीही केवल प्रभु यीशुमसीह को जानने का प्रयत्न ही नहीं करता बल्कि वह प्रार्थना करता है जो मसीहीयोग का एक अंग है कि "हे ईश्वर, मुझे जाँच
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