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मसीही योग | २११
सम्मुख उद्घाटित करता है क्योंकि इसीसे वह अपने को खोज सकता है और उसका अस्तित्त्व है।"१५ एन्थोनी डी० मेलो के विचार
एन्थोनी डी० मेलो (एस० जे०) एक कैथोलिक फादर हैं। वे साधनासंस्था, पूना के संचालक हैं । उन्होंने उनकी पुस्तक 'साधना-ए वे टू गॉड' में ध्यान पर अधिक बल दिया है, उन्होंने चार तथ्यों पर अभ्यास करने को कहा है-(१) सावधानी (Awareness) जिसमें उन्होंने पांच अभ्यास बताये हैं-मौन की आवश्यकता, शारीरिक संवेदना, शारीरिक संवेदना और विचार नियन्त्रण तथा श्वास-प्रश्वास संवेदनाएँ। दूसरे को उन्होंने सावधानी और ध्यान (Awareness and Contemplation) कहा है। इसमें उन्होंने नौ अभ्यास दिये हैं(१) ईश्वर मेरी श्वास में, (२) ईश्वर के साथ श्वास-संचार, (३) शान्तता, (४) शारीरिक प्रार्थना, (५) ईश्वर का स्पर्श, (६) ध्वनि, (७) ध्यानावस्था, (८) सभी में ईश्वर को ढूंढना, और (९) दूसरों की सचेतता ।
(३) इस अभ्यास को 'कल्पना' के अन्तर्गत रखा गया है जिसमें यहाँ और वहाँ की कल्पना, प्रार्थना के लिए एक स्थान, गलील को लौटना, जीवन के प्रानन्दायक रहस्य, दुःख भरे रहस्य, क्रोध से मुक्ति, खाली कुर्सी, इगनेशियन ध्यान, प्रतीकात्मक कल्पनाएँ, दुःख पहुँचाने वाली स्मृतियों का अच्छा होना, जीवन का मूल्य, जीवन के स्वरूप को देखना, अपने शरीर को त्यागते समय बिदा कहना, तुम्हारी अन्त्येष्टि, मृतकशरीर की कल्पना और भूत, भविष्य और व्यक्ति की चेतना की बात कही गई हैं।
(४) चौथे अभ्यास में 'भक्ति' को लिया गया है जिसके अन्तर्गत बेनेडिक्टाइन प्रकारों का समावेश है-जैसे कण्ठी (Vocal) प्रार्थना, प्रभु यीशुमसीह की प्रार्थना, ईश्वर के हजार नाम, ऐसे देखना जैसे वह तुम्हें देख रहा है, प्रभु यीशु का हृदय, उपस्थिति के अवसर पर नाम, मध्यस्थता कराने की प्रार्थना, यीशुमसीह उद्धारक है उसका निवेदन, पवित्रशास्त्र की आयतें, पवित्रइच्छा, केन्द्रित ईश्वर, प्रेम की जीवित प्राग, प्रशंसा की प्रार्थना प्रादि के रूप में अभ्यास बताया गया है।
फादर न्यूनर के विचार
फादर न्यूनर ने उनकी पुस्तक 'योग और मसीहीध्यान' में निम्नरूप से अपने विचार व्यक्त किये हैं
"मसीहीधर्म और योग में दो विशेष भिन्नता हैं। मसीहीधर्म में ईश्वर से एक व्यक्तिगत सम्बन्ध है जो कि योग के स्वयं ध्यान, उन्नति, परावर्तन और मनुष्यशक्ति से भिन्न हैं।"१६ अप्पास्वामी के विचार
अप्पास्वामी लिखते हैं कि हमें यह स्पष्ट कर देना चाहिए कि कोई मसीही योग और हिन्दू योग नहीं है। यह मानसिक अनुशासन है और किसी भी धर्म के अनुयायी द्वारा काम में लिया जा सकता है।'
आसमस्थ तम आत्मस्थ मन तब हो सके आश्वस्त जम
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