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________________ 1856, चारुचन्द्रभूषण 1866; शीलेन्द्रभूषण 1873 एवं लक्ष्मीसेन 1874 / इनमेंसे सुरेद्रभूषण द्वारा सन् 1822 में जबलपुरके समीप पनागरमें भी मूर्तिप्रतिष्ठा हुई थी, ऐसा वहाँके मूर्तिलेखोंके द्वारा ज्ञात होता है / इसी प्रकार चारुचन्द्रभूषण द्वारा सन् 1866,1867 एवं 1869 में जबलपुरके हनुमानताल मन्दिरमें मूर्तिप्रतिष्ठायें की गई थीं। ऐसा वहाँके लेखोंसे ज्ञात होता है / पनागरके कुछ अन्य मूति लेखोंसे ज्ञात होता है कि वहाँ सन् 1797 में आचार्य नरेन्द्र भूषण द्वारा तथा सन् 1838 में आचार्यभूषण द्वारा भी प्रतिष्ठायें हुई थीं। हनुमानताल मन्दिर, जबलपुरके कुछ मूर्तिलेखोंमें सन् 1834,1839 तथा 1840 की प्रतिष्ठाओं- . में आचार्य हरिचन्द्रभूषणका नाम भी उपलब्ध होता है / / इस प्रकार मध्यप्रदेशके विभिन्न क्षेत्रोंके प्रकाशित इतिहास-साधनोंसे ज्ञात 90 जैन आचार्योंके उल्लेखोंकी यह संक्षिप्त सूची है। इसमें मालवा क्षेत्रके 45, ग्वालियर क्षेत्रके 30, छतरपुर क्षेत्रके 8 तथा जबलपुरके क्षेत्रके 7 उल्लेख हैं। प्रयोजनकी दृष्टिसे देखा जाय, तो 20 उल्लेख ग्रन्थरचना सम्बन्धी, 40 मूर्तिप्रतिष्ठा सम्बन्धी एवं अन्य 30 सामान्य रूपसे विहारके विषयमें हैं। इनके समुचित अध्ययन एवं संकलनसे मध्यप्रदेशमें जैनधर्म और संस्कृतिक विकासका इतिहास जानने में पर्याप्त सहायता मिलती है। 1. जबलपुर और पनागर के मूर्तिलेख हमने स्वयं देखे हैं / - 293 - Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.211622
Book TitleMadhya pradesh me Jainacharyo ka Vihar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherZ_Kailashchandra_Shastri_Abhinandan_Granth_012048.pdf
Publication Year1980
Total Pages6
LanguageHindi
ClassificationArticle & Ascetics
File Size568 KB
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