________________ 414 60 जगन्मोहनलाल शास्त्री साधुवाद ग्रन्थ [खण्ड सन्दर्भ: 1. समवायांगसूत्र, 546 / 2. इसीभासियाई 31 / 3. स्थानांगसूत्र, 10 / 116 / 4. समवायांगसूत्र, 546-549 / 5. नन्दीसूत्र, 54 / 6. तत्वार्थवातिक 1120 ( पृष्ठ 73-74) / 7. धवला, पुस्तक 1, भाग 1, पृष्ठ 107-8 / 8. इसिभासियाई, अध्याय 31 / 9. स्थानांग, 9 स्थान / 10. इसिभासियाई, पठमा संगहीणी गाथा, 1 / 11. समवायांगसूत्र, 44 / 258 / 12. नन्दीसूत्र, 54 / 13. (क) नन्दीचूर्णि। 13. (ख) समवायांगवृत्ति / 14. धवला, भाग 1, पृ० 104 / 15. समवायांग, 547 / 16. समवायांग, 547 / 17. प्रश्नव्याकरण जयप्राभृत, (ग्रन्थ० 228), जैन ग्रन्थावली, पृ० 355 / (अ) चूड़ामणिवृत्ति (ग्रन्थ 2300), पाटन कैटलोग भाग 1 पृ० 8 / (ब) लीलावती टीका, पाटन कैटलोग भाग 1 पृ० 8 एवं इन्ट्रोडक्शन पृ० 60 / (स) प्रदर्शनज्योतिवृत्ति, पाटन कैटलोग भाग 1 पृष्ठ 8 एवं इन्ट्रोडक्शन पृष्ठ 60 / बृहद्वृत्तटिप्पणिका ( जैन साहित्य संशोधक, पूना 1925 क्रमांक 560), जैन ग्रन्थावली पृ० 355, जिनरत्नकोश पृ० 274 / 18. जिनरत्नकोश, पृ० 274 / 19. इसिभासियाई, अध्याय 31 / 20. प्रश्नव्याकरणाख्यं जयपाहडनाम निमित्तशास्त्रम् 3 / 21. (अ) प्रश्नव्याकरणाख्यं जयपाहुडनाम निमित्तशास्त्रम्, टीका / 21. (ब) धवला, भाग 1, पृ० 107-8 / 22. देखें-प्रकरण 14, 17, 21, 38, प्रश्नव्याकरणाख्यं जयपाहुडनाम निमित्तशास्त्र / 23. (अ) प्रश्नव्याकरण वृत्ति (अभयदेव), प्रारम्भ / (ब) प्रश्नव्याकरण टोका (ज्ञानविमल), प्रारम्भ / 24. (अ) प्रश्नव्याकरण वृत्ति (अभयदेव), प्रारम्भ / (ब) प्रश्नव्याकरण टोका (ज्ञानविमल), प्रारम्भ / 25. (अ) नन्दीचूणि (प्राकृत-टेक्स्ट-सोसायटी)। (ब) पाठान्तर, नन्दो चूणि (ऋषभदेव केशरीमल, रतलाम)। 26. णंदीसुतं चूर्णि, पृ० 69 / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org