________________ है। सब चिंतन का विषय है। मुझे महसूस होता है कि नारी सशक्तीकरण आत्मा की हरियाणा में 1000 पुरुष के पीछे 860 महिलाएं हैं। आवाज है, निर्मल हृदय की पुकार है। इसीलिए भारतीय संविधान औरतों को विश्वास दिलाता है कि धर्म, नस्ल, लिंग, मध्यप्रदेश में 1000 पुरुष के पीछे 875 महिलाएं हैं। जन्मस्थान व कोई भेदभाव न हो। अनुच्छेद 15 (1) औरतों उड़ीसा में 1000 पुरुष के पीछे 972 महिलाएं हैं। तथा मर्दो को समान रूप से रोजगार तथा सरकार के अंतर्गत केरल में 1000 पुरुष के पीछे 930 महिलाएं हैं। किसी भी कार्यालय में नियुक्ति के मामले में समानता अनुच्छेद इस तरह से घटता-बढ़ता आंकड़ा सिद्ध करता है, यही (16) औरतों तथा मर्दो के लिए समान रूप से, रोजगार के बताता है कि महिलाओं को जीने का अवसर नहीं दिया जा रहा पयाप्त साधना का आधकार सुनिाश्चत करान क लिए सरकार को नीति निर्देश / अनुच्छेद 39 (ए) औरतों तथा मर्दो दोनों के लिए समान काम का समान वेतन अनुच्छेद 39 (डी) है। दुर्भाग्य है कि भारत में औरतें कितनी आजाद हैं, कितनी इस तरह नीर सशक्तीकरण महज एक नारा नहीं है, यथार्थ का बराबर हैं, कितनी निम्नस्तर का जीवन जी रही हैं, इन सबका दर्शन है। सवाल और जबाब आज तक भी समाचार पत्र हो या कोई मीडिया या नेताओं की बड़ी सभाएं हो या किसी महात्मा का राष्ट्रीय अध्यक्ष उपदेश, नहीं दिया। भारत की नारी के लिए आज भी यह प्रश्न श्री अखिल भारतीय साधुमार्गी जैन महिला समिति चिह्न है? क्या भारतीय नारी की संभावनाएं विकसित करने की आजादी है? क्या उनकी आजादी छिननेवाले मुख्य स्रोतों से वे सुरक्षित है। क्या हिंसा, भेदभाव, अभाव, भय तथा अन्याय से वे सुरक्षित हैं? इन सब सवालों का जबाब मात्र नारी सशक्तीकरण है जिसके अंतर्गत स्वयं जलती मशाल के रूप में मानसिक भावानात्मक सुरक्षा, दूसरों द्वारा कह दिया जाने वाला विश्वास जो राष्ट्र, समाज परिवार और हम सबके जीवन के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण है। नारी सशक्तीकरण कोई मापतौल का विषय नहीं हैं लेकिन व्यापक रूप से छेड़ा गया आंदोलन नारी जाति को अपना स्तर बनाने के लिए कई उपलब्धियों के स्तरों के साथ समानता का अधिकार हासिल करने की हरित क्रांति है। आज भारत में कितनी औरतें जो करना चाहें, करने के लए स्वतंत्र है जो वे बनना चाहे बनने के लिए आजाद हैं। उनके आगे संषर्ष, आत्मसम्मान और विकास की मांग है और इन्हीं अवसरों की समानता के साथ नारी सशक्तीकरण सामाजिक, नैतिक, राजनैतिक, सांस्कृतिक, धार्मिक एवं पारिवारिक समान अवसरों के साथ उपलब्धियों को पाने का और ऊँचाइयों को छूने का माध्यम है। कुछ ऐसा ही नारी सशक्तीकरण में पाना है जो 1. भरपूर जीने की आजादी दे। 2. स्वस्थ जीवन का अधिकार / 3. शिक्षा का अधिकार। 4. बिना शोषण के काम करने का अधिकार। 5. बिना शोषण निर्णय का अधिकार। 6. भय से आजादी आदि मुद्दे अपने अधिकारों के प्रति जागरूकता एवं सतर्कता कह सकते हैं। 0 अष्टदशी / 1100 . For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org