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धर्म-साधना में चेतना-केन्द्रों का महत्त्व | १४९
है। योग, भारतीय साधकों की साधना प्रणाली है, जबकि जुडो का प्रारम्भ बौद्धसाधुओं द्वारा चीन देश में किया गया और शरीर शास्त्र आधुनिक पश्चिमी वैज्ञानिकों द्वारा प्रचारित है, इसका अंग्रेजी नाम है-anatomy |
योगशास्त्र में इन चक्रों का नाम दिया गया है कमल, यथा-नाभि कमल आदि; जबकि जुडो (Judo) में इन्हें क्यूसोस कहा गया और अाधुनिक शरीर शास्त्रियों ने इनका नाम दिया है-ग्लैण्ड्स (Glands) । वह भी अन्तःस्रावी ग्रन्थि ।
अन्तःस्रावी ग्रन्थि वे ग्रन्थियाँ हैं, जिनका स्राव शरीर से बाहर नहीं निकलता अपितु शरीर के अन्दर ही रक्त आदि में मिश्रित हो जाता है। इसे हारमोन (Harmone) कहा जाता है।
हारमोनों की सबसे बड़ी विशेषता है-मानव के आवेग-संवेगों का नियमन एवं संतुलन । हारमोनों में असंतुलन हया नहीं कि व्यक्ति की प्रवत्तियां बदली नहीं। थायरायड ग्रन्थि से अधिक स्राव स्रवित हया और व्यक्ति क्रोध में भर गया; कम स्राव हुआ तो क्रोध शान्त हो गया, व्यक्ति उपशान्त हो गया। अध्यात्मशास्त्र की भाषा में यों भी कहा जा सकता है कि क्रोध आने पर थायरायड ग्रन्थि से अधिक स्राव होने लगा।
यह कथन की अपनी-अपनी शैली है, अन्तर कुछ भी नहीं। एक ही सिक्के के दो पहलू हैं।
यह एक सुखद आश्चर्यजनक सत्य है कि चक्रों (अथवा कमल) के शरीर में जो स्थान और प्राकार योगाचार्यों ने निर्धारित किये हैं, वे ही स्थान जडो और आधुनिक शरीरविज्ञानियों ने स्वीकार किये हैं, तनिक भी अन्तर नहीं है। यह तथ्य निम्न तालिका से स्पष्ट हो जाएगा
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क्रम चक्र का नाम जूडो क्यूसोस ग्लैण्ड्स । स्थान १. मूलाधार चक्र (ऊर्जाकेन्द) सुरगिने पेविल्क फ्लेक्सस सुषुम्ना का निचला सिरा २. स्वाधिष्ठान (स्वास्थ्यकेन्द्र) माइप्रोजो एड्रीनल ग्लैण्ड मूलाधार से चार अंगुल ऊपर मणिपुर चक्र (शक्तिकेन्द्र) सुइगेट्स सोलार फ्लेक्सस
नाभि अनाहत चक्र (तेजसकेन्द्र) क्योटोट्सु थाइमस ग्लैण्ड
हृदय विशुद्धि चक्र (प्रानन्दकेन्द्र) हिच थायरायड ग्लैण्ड
कण्ठ प्राज्ञा चक्र (दर्शनकेन्द्र) ऊतो पिट्यूटरी ग्लैण्ड
भ्रू मध्य सहस्रार चक्र (ज्ञानकेन्द्र) टेण्डो पिनिअल ग्लैण्ड कपाल स्थित ब्रह्म रन्ध्र
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यह सात चक्र (ग्लैण्ड-Gland, जूडो क्यूसोस अथवा कमल) तो सर्वमान्य हैं ही; किन्तु साधना के लिए दो अन्य चक्रों का जानना भी आवश्यक है । वे हैं-मनःचक्र और सोमचक्र । . मनःचक्र का स्थान है ललाट और सोमचक्र का स्थान है अग्र मस्तिष्क-मस्तिष्क का वह भाग जहाँ से सम्पूर्ण किया-तन्तुषों ( motory activities ) का नियमन तथा निर्देश होता है।
मनःचक्र अथवा ललाट प्राणी की कामना-वासना ( sensitivity actions ) सम्बन्धी ।
आसनस्थ तम आत्मस्थ मन तब हो सके आश्वस्त जम
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