________________ यतीन्द्रसूरि स्मारक ग्रन्थ - जैन आगम एवं साहित्य जिनप्रतिमा की स्नात्र-प्रक्षालन पूजा भी जन्म दीक्षानिर्वाण सीमित जल में दूध इत्यादि द्रव्यों को मिलाकर पंचामृत बना कल्याणकों के निमित्त ही कराई जाती है, क्योंकि जिनेश्वर भगवान लेने से वह अचित्त हो जाता है। उस पंचामृत से जिन मूर्ति को को जल से ही स्नान कराने का विधान है। आगमों में भी इस स्नान कराने के बाद थोड़े से सादे जल से स्नान कराकर स्वच्छ बात का स्पष्ट उल्लेख है। नियमानुसार जल को छानकर, उस वस्त्र से पौंछकर मूर्ति को एकदम निर्मल किया जाता है। Dasibusibabidesibabidabrdinsibasibudabudiamirsit-si23 Finaraibartimsio-dio-Gibrarsionaireniorabdio-store Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org