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________________ १८५ दिगम्बर जैन पुराण साहित्य पुराण नाम कर्ता रचना संवत ४४ हरिवंश पुराण पुन्नाटसंघीय जिनसेन शकसंवत ७०५ (वि. सं. ८४०) ,, (अपभ्रंश) स्वयंभू देव चतुर्मुख देव ब्र. जिनदास १५-१६ शती (अपभ्रंश) भ. यशकीर्ति १५०७ भ. श्रुतकीर्ति १५५२ (अपभ्रंश) कवि रइधू १५-१६ शती भ. धर्मकीर्ति १६७१ कवि रामचन्द्र १५६० के पूर्व ___इनके अतिरिक्त चरित ग्रन्थ हैं जिनकी संख्या पुराणों की संख्या से अधिक है और जिनमें 'वराङ्ग चरित', 'जिनद चरित', 'जसदर चरिऊ', 'णायकुमार चरिउ ' आदि कितने महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ सम्मिलित हैं। पुराणों की उक्त सूचि में रविषेण का पद्मपुराण, जिनसेन का महापुराण, गुणभद्र का उत्तर पुराण और पुन्नाटसंघीय जिनसेन का हरिवंश पुराण सर्वश्रेष्ठ पुराण कहे जाते हैं। इनमें पुराण का पूर्ण लक्षण घटित होता है। इनकी रचना पुराण और काव्य दोनों की शैली से की गई है, इनकी अपनी-अपनी विशेषताएँ हैं जो अध्ययन के समय पाठक का चित्त अपनी ओर बलात् आकृष्ट कर लेती है। जैन पुराणों का उद्गम : यति वृषभाचार्यने 'तिलोय पण्णत्ति' के चतुर्थ अधिकार में तीर्थंकरों के माता पिता के नाम, जन्म नगरी, पन्चकल्याणक तिथि अन्तराल, आदि कितनी ही आवश्यक वस्तुओं का संकलन किया है। जान पडता है कि हमारे वर्तमान पुराणकारों ने अधिकांश उस आधार को दृष्टिगत रखकर पुराणों की रचनाएं की हैं। पुराणों में अधिकतर त्रेसठ शलाका पुरुषों का चरित्र चित्रण है। प्रसंगवश अन्य पुरुषों का भी चरित्र चित्रण हुआ है। ___ इन पुराणों की खास विशेषता यह है कि इनमें यद्यपि काव्य शैली का आश्रय लिया गया है तथापि इतिवृत्त की प्रामाणिकता की ओर पर्याप्त दृष्टि रखी गई है। उदाहरण के लिए 'रामचरित' ले लिजिए । रामचरित पर प्रकाश डालनेवाला एक ग्रन्थ 'वाल्मीकि रामायण' है और दूसरा ग्रन्थ रविषेण का 'पद्मचरित' है। दोनों का तुलनात्मक दृष्टि से अध्ययन करने पर इसका तत्काल स्पष्ट अनुभव होता है कि वाल्मीकि ने कहां कृत्रिमता लाई है। श्री डॉक्टर हरिसत्य भट्टाचार्य, एम्. ए., पीएच्. डी. ने 'पौराणिक जैन इतिहास' शीर्षक से एक लेख 'वर्णी अभिनन्दन ग्रन्थ ' में दिया है उसमें उन्होंने जगह जगह २४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.211165
Book TitleDigambar Jain Puran Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPannalal Jain
PublisherZ_Acharya_Shantisagar_Janma_Shatabdi_Mahotsav_Smruti_Granth_012022.pdf
Publication Year
Total Pages12
LanguageHindi
ClassificationArticle & Literature
File Size874 KB
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