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________________ 250 कर्मयोगी श्री केसरीमलजी सुराणा अभिनन्दन ग्रन्थ : चतुर्थ खण्ड . ..................................................................... प्रकार पच्चीस व्यक्ति तपस्या करने वाले होने चाहिये और सब का पारणा साथ में आना चाहिये / अकस्मात् बीच में किसी का पारणा हो गया तो कोई व्यक्ति आगे तपस्या करके पूरी कर सकता है। __इसी प्रकार सतरंगी में सात-सात व्यक्ति 7, 6, 5, 4, 3, 2, 1 करने वाले चाहिये, सबकी संख्या उनपचास हो जाती है। नौरंगी में नौ-नौ, ग्यारहरंगी में ग्यारह-ग्यारह, तेरहरंगी में तेरह-तेरह व्यक्ति हर पंक्ति की तपस्या करने वाले होने चाहिये। सामूहिक तपस्या का प्रारम्भ सर्वप्रथम जोधपुर राजस्थान में हुआ ऐसा उल्लेख मिलता है। उपसंहार तपस्या की प्रचलित कुछ विधियों का जिक्र यहाँ किया गया है, और भी बहुत विधियाँ हैं, अनेक तपप्रतिमाएँ हैं, जिसमें तपस्या के साथ-साथ आसन, आतापना और ध्यान आदि के अभिग्रह भी संयुक्त हैं। कुल मिलाकर यह निराहार तप जीवन को परिशोधन करने वाला महत्त्वपूर्ण अनुष्ठान है / इसे बहुत उत्साह से करना चाहिये / आगम ग्रन्थों में आया है "अग्लान मनोभाव से की जाने वाली तपस्या महान कर्म निर्जरा का हेतुभूत बनती है / " / तपस्या में शारीरिक म्लानता स्वाभाविक है, किन्तु मन उत्साहित और वर्धमान रहना चाहिये तब ही हम तप की पवित्र अनुभूति से लाभान्वित हो सकेंगे। तपस्या के साथ ध्यान का क्रम बैठ जाए तो मणिकांचन संयोग बन जाए। वैसे एक दूसरे के सहायक माने गये हैं / तपस्या में ध्यान सुगमता से जमता है और ध्यान से तपस्या सुगम बन जाती है। अच्छा हो, हम तपस्या के सभी पहलुओं को समझें, फिर अपनी शारीरिक शक्ति का अनुमान लगाएँ और पूरे उत्साह के साथ तपस्या के अनुष्ठान में उतरें। Xxxxxxx XXXXX अन्ये त्वेवमजानन्तः श्रुत्वाऽन्येभ्य उपासते / तेऽपि चातितरन्येव, मृत्युं श्रुति परायणाः / / -गी० 13, 25 जो नहीं जाते वे जानने वालों से सुनकर तत्त्व का विचार करते हैं / जो सुनने में तत्पर हैं, वे मृत्यु को तर जाते हैं। xxxxx xxxxxxx Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.211105
Book TitleTap Ek Mahattvapurna Anushthan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSumermalmuni
PublisherZ_Kesarimalji_Surana_Abhinandan_Granth_012044.pdf
Publication Year1982
Total Pages6
LanguageHindi
ClassificationArticle & Ritual
File Size396 KB
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