________________ 128 कर्मयोगी श्री केसरीमलजी सुराणा अभिनन्दन ग्रन्थ : षष्ठ खण्ड B. . . .. ..-.-.-.-.-.-.-.-.-......................... ............. .. मंडल किरणां मंही कलानिधि थापित कीधौ। ___अमरापुर सू आणि गरूड जणणी नूं दीधौ / लिखमीचन्द स्वरूप रा रोग हरण बधती रती।। वर श्री जिनेन्द्र वाले वस हाथ थारै अती // सिंघवी फौजराज-यह सिंघवी गुलराज का पुत्र था और महाराजा मानसिंह के समय में बहुत प्रभावशाली था। महाराजा ने इसे वि० सं० 1863 में जोधपुर का फौज बख्शी कायम किया और इस पद पर यह वि० सं० 1912 तक कायम रहा / वि० सं० 1602 में यह खालसे का काम भी देखता था। मारोठ व खेतड़ी के झगड़े में उसने फौज लेजाकर बीच-बचाव किया था। वि० सं० 1867 में सिवाना परगना के आसोतरा ठाकुर के यहाँ पर उपद्रव हुआ। उसे भी उसने जाकर दबाया। एक गीत द्रष्टव्य है : गीत फौजराज सिंघवी रो बांकारा सैण जिका मन विकसै, दोखी वांका तणा दबै / ईन्दा जिम कर क्रीत उवारण, ईन्दाणी सुभ नजर अब / / ईन्दै भूपत हूँत अमांची, आठ बार कीनी अरज / मिलिया ईन्दा तणी मारफत, गांम कुरब सुखपाल गज // आडो झगड़ो करां आप सूं, दिन ऊगै आसीस दियां / हम्हाहरी निखाह भीमहर, क्रपा भीम सुत जेम कियां / / पढू दिया रूपयां रा पैहला, पछ किया तोफान पला / सिंघवी ओ मौ काज सुधारण, गाज सीह जिय राय गलां / / निज कहिया वायक निरवाहै. मन नहचल आपरै मत / दु राह दिल खोल दाषियौ, फतौ मदत ज्यां हुवै फतै // मुहता हरखचन्द-हरखचन्द मुहता के बारे में भी एक गीत मिला है। यह जोधपुर का पराक्रमी योद्धा, साथ ही धार्मिक रुचि सम्पन्न व्यक्ति था / निम्न गीत द्रष्टव्य है ___ गीत हरखचन्द मुहता रो पद उपाध्याय दिन इन्द्र पावियौ, जग जाहर तूं मदत जद / गुरू अधक बधायौ गौरव, हरदवा कीधौ काम हद / / फैज बगस जस खाट फाबियौ, धन तूं रह्या मीढगर धूज / विनै करी श्रीपूज बड़ा झू, स्वगुर कियौ छोटो श्रीपूज / / राजे तूं मेधा रतनागर, चौज उबारण आचे चाव / चौरासी गछ कीधौ चावी, सागर नं उतमेस सुजाव / / जांण जोग दिनेन्द्र जती न, उदै मंदिरां तण उजीर / मुद कियौ तै तपगछ माहै. निज कुल भलो चढायौ नीर // Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org