________________ 706 जैन विद्या के आयाम खण्ड-६ " वाराणसी, सिंहपुर, हस्तिनापुर, राजगृह, निर्वाणगिरि आदि। से प्रकाशित / दिगम्बर परम्परा के तीर्थ सम्बन्धी शेष प्रमुख तीर्थवन्दनाओं की 3. भारत के प्राचीन जैनतीर्थ - डॉ० जगदीशचन्द्र जैन, जैन संस्कृति सूची इस प्रकार है - संसोधन मण्डल, वाराणसी-५ / रचना रचनाकर समय 4. भारत के दिगम्बर जैन तीर्थ, 1,2,3,4,5, (सचित्र) शासनचतुस्त्रिंशिका मदनकीर्ति १२वीं-१३वीं शती -श्री बलभद्र जैन निर्वाणकाण्ड प्रका० भारतवर्षीय दिगम्बर जैन तीर्थ क्षेत्र कमेटी, बम्बई / तीर्थवन्दना 5. तीर्थदर्शन, भाग 1 एवं 2 जीरावला पार्श्वनाथस्तवन उदयकीर्ति प्रकाशक-श्री महावीर जैन कल्याण संघ, मद्रास 600007 पार्श्वनाथस्तोत्र पद्मनंदि 14 वीं शती इसके अतिरिक्त पृथक्-पृथक् तीर्थों पर भी कई महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ भी माणिक्यस्वामीविनति श्रुतसागर 15 वीं शती उपलब्ध हैं। मांगीतुंगीगीत अभयचन्द तीर्थवन्दना गुणकीर्ति संदर्भ तीर्थवन्दना मेघराज 1. (अ) अभिधानराजेन्द्रकोष, चतुर्थ भाग, पृ० 2242 जम्बूद्वीपजयमाला तीर्थजयमाला (ब) स्थानांग टीका। सुमतिसागर 16 वीं शती 2. जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति, 3/57,59,62 (सम्पा० मधुकर मुनि) जम्बूस्वामिचरित राजमल्ल 3. सुयधम्मतित्थमग्गो पावयणं पवयणं च एगट्ठा / सर्वतीर्थ वन्दना ज्ञानसागर १६वीं-१७वीं शती सुत्त तंतं गंथो पाढो सत्थं पवयणं च एगट्ठा / / श्रीपुरपार्श्वनाथविनती लक्ष्मण १७वीं शती -विशेषावश्यक भाष्य, 1378 पुष्पांजलिजयमाला सोमसेन 4. के ते हरए ? के य ते सन्तितित्थे ? तीर्थजयमाला जयसागर कहिंसि णहाओ व रयं जहासि ? तीर्थवन्दना चिमणा पंडित धम्मे हरये बंभे सन्तितित्थे जिनसेन अणाविले अत्तपसन्नलेसे / सर्वत्रैलोक्यजिनालय जयमाला विश्वभूषण १७वीं शती जहिंसि पहाओ विमलो विसुद्धो सुसीइभूओ पजहामि दोसं // बलिभद्र अष्टक मेरुचन्द्र -उत्तराध्ययनसूत्र, 12/45-46 बलिभद्र अष्टक गंगादास 5. देहाइतारयं जं बज्झमलावणयणाइमेत्तं च / मुक्तागिरि जयमाला धनजी णेगंताणच्चंतिफलं च तो दव्वतित्थं तं / / रामटेक छंद मकरंद १७वीं-१८वीं शती इह तारणाइफलयंति ण्हाण-पाणा-ऽवगाहणईहिं / पद्मावती स्तोत्र तोपकरि १८वीं शती भवतारयंति केई तं नो जीवोवघायाओ / / षटतीर्थ वन्दना देवेन्द्रकीर्ति - विशेषावश्यक भाष्य, 1028-1029 जिनसागर देहोवगारि वा तेण तित्थमिह दाहनासणाईहिं / मुक्तागिरि आरती राघव १८वीं-१९वीं शती . मह-मज्ज-मंस-वेस्सादओ वि तो तित्थमावन्नं / / अकृत्रिम चैत्यालयजयमाला पं० दिलसुख १९वीं शती - वही, 1031 पार्श्वनाथ जयमाला ब्रह्म हर्ष 7. सत्यं तीर्थं क्षमा तीर्थं तीर्थमिन्द्रियनिग्रहः / तीर्थवन्दना कवीन्द्रसेवक " सर्वभूतदयातीर्थं सर्वत्रार्जवमेव च // नोट : उक्त तालिका डॉ० विद्याधर जोहरापुरकर द्वारा संपादित दानं तीर्थं दमस्तीर्थं संतोषस्तीर्थमुच्यते / तीर्थवन्दनसंग्रह के आधार पर प्रस्तुत की गयी है / ब्रह्मचर्य परं तीर्थं तीर्थं च प्रियवादिता / / तीर्थनामपि तत्तीर्थं विशुद्धिमनस: परा / आधुनिक काल के जैन तीर्थ-विषयक ग्रन्थः - शब्दकल्पद्रुम - ‘तीर्थ', पृ० 626 1- जैन तीर्थोनो इतिहास (गुजराती), मुनि श्री न्यायविजय जी 8. भावे तित्थं संघो सुयविहियं तारओ तहिं साहू / - श्री चारित्र स्मारक ग्रन्थमाला, अहमदाबाद 1949 ई० नाणाइतियं तरणं तरियव्यं भवसमुद्दो यं // 2- जैनतीर्थसर्वसंग्रह, भाग-१, (खण्ड 1-2), भाग-२ पं० अम्बालाल - विशेषावश्यक भाष्य, 1032 पी० शाह, आनन्द जी कल्याण जी की पेढ़ी, झवेरीवाड़, अहमदाबाद 9. जं नाण-दसण-चरितभावओ तव्विवक्खभावाओ / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org