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३]
जैन शास्त्रों में मन्त्रवाद २०५
३८. भी
लक्ष्मी वीज-विरोधी
आकाश आकाश
वै. वै.
४०.
य
वायु
क्ष.
तालु मूर्धा दन्त दन्तोष्ठ तालु
अग्नि वोज श्री वोजमूल सरस्वती वीज
अग्नि पृथ्वी
क्ष. क्ष.
सात्विक-विरोधी सिद्धि, सन्तान शान्ति, सिद्धि शक्ति वृद्धि लक्ष्मी, कल्याण विपत्ति निवारक निरर्थक सिद्धिदायक सर्वसाधक मंगल साधक
पृथ्वी
क्ष.
मूर्षा
क्ष..
स ह
दन्त कंठ
आह्वान वीज काम वीजमूल सर्व वीजमूल
वायु अग्नि जल वायु
क्ष.
४७.
महमारचक्रम् (७)-14
-आज्ञाचक्रम् (६) बीमा की म्यूँटी-वीणा की ती पिङ्गला इडा मुखुम्ना
विशुद्धचक्रम् (५)
वैरवरी वाणी
URICodaag
मध्यमा वाणी अनाहतचक्रम् (४)
A
RANDONDAadhaaOAVE
समान वायु वैश्वानर अग्नि
पश्यन्ती वाणी मणिपूरचक्रम् (३)
ama
AmanLoanus
स्वाधिष्ठानचक्रम् (२)
मूलाधारचक्रम् (१) -परा वाणी
कुण्डलिनी
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चित्र १. शरीर तंत्र में विभिन्न चक्र और नाडियां (सौजन्य डॉ० वागीश शास्त्री)
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