SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 19
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जैन धर्म में नारी की भूमिका 567 तं दुक्करं तं च महाणुभागं, ज सो मुणी पमयवणं निविट्ठो // 41. जैन शिलालेख संग्रह, भाग 2 -वही, 1, पृ० 555 42. (क) बृहत्कल्पभाष्य, भाग३, 2411, 2407, (ख) 30. कल्पसूत्र, क्रमश: 197, 167,157 व 134, प्राकृत बृहत्कल्पभाष्य, भाग४, 4339 / भारती, जयपुर 1977 (ग) व्यवहारसूत्र, 5/1-16 / 31. चातुर्मास सूची, पृ० 77 प्र. अ. भा. समग्र जैन चातुर्मास 43. जस्स णं अहं पुत्ता ! रायस्स वा जुवरायस्स वा भारियत्ताए सयमेव दलइस्सामि, तत्थ णं तुमं सुहिया वा दुक्खिया वा भविज्जासि / सूची प्रकाशन परिषद्, बम्बई, 1987 / -ज्ञाताधर्मकथा, 16/85 32. इत्थी पुरिससिद्धा य , तहेव य नपुंसगा / 44. तए णं सा रेवई गाहावइणी तेहिं गोणमंसेहिं सोल्लेहिं य सुरं सलिंगे अन्नलिंगे य, गिहिलिंगे तहेव य / / च आसाए माणी विहरइ / -उत्तराध्ययन सूत्र, 36/50 -उवासगदसाओ, पृ०२४४ 33. ज्ञाताधर्मकथा - मल्लि और द्रौपदी अध्ययन / तए णं तस्स महासयगस्स समणोवासगस्स बहूहिं सील जाव 34. (अ) तथेव हत्थिखंधवरगताए केवलनाणं, सिद्धाए इमामे भावेमाणस्स चोइस संवंच्छरा वइक्कंता / एवं तहेव जेद्रं पत्तं ठवेड जाव ओसप्पिणीए पढ़मसिद्धो मरुदेवा / एवं आराहणं प्रतियोगसंगहो कायव्यो। पोसहसालाए धम्मपण्णत्तिं उवसंपज्जिता णं विहरइ / -आ० चूर्णि, भाग 2, पृ० 212 ___ - उवासगदसाओ, 245 द्रष्टव्य, वही, भाग 1, पृ० 181 व 488 / 45. अपुत्रस्य गतिर्नास्ति / (ब) अन्तकृद्दशा के वर्ग 5 में 10, वर्ग 7 में 13, वर्ग 8 में 46. जइ णं अहं दारगं वा पयायामि तो णं अहं जायं य जाव 10 / इस प्रकार कुल 33 मुक्त नारियों का उल्लेख प्राप्त होता है। अणुबुड्डेमित्ति / 35. (अ) मणुस्सिणीसु मिच्छाइट्ठि सासणसम्माइट्टि-ट्ठाणे सिया - ज्ञाताधर्मकथा, 1/2/16. पज्जत्तियाओ सिया अपज्जत्तियाओसंजदासंजदसंजदट्ठाणे णियमा 47. न तस्स दुक्खं विभयंति नाइओ, न मित्तवग्गा न सया न पज्जत्तियाओ॥ - षट्खण्डागम, 1,1, 92-93 बंधवा। (ब) एवं विधाणचरियं चरितं जे साधवो य अज्जावो / एक्को संय पच्चणु होइ दुक्खं, कत्तारमेवं अणुजाइ कम्मं / / -उत्तराध्ययन 13/23 ते जंगपुज्ज कित्तिं सुहं च लभ्रूण सिझंति / / 48. ज्ञाताधर्मकथा, अध्ययन 8, सूत्र 30,31 / -मूलाचार 4/196 49. आवश्यकचूर्णि, भाग 1, पृष्ठ 152 / 36. लिंग इत्थीणं हवदि भंजई पिंडं सएयकालम्मि / 50. वही, भाग१, पृष्ठ 142-143 / अज्जिय वि एकवत्था वत्थावरणेण भुंजेइ // 51. जैनागम साहित्य में भारतीय समाज, - डॉ जगदीशचन्द्र जैन णवि सिज्झइ वत्थधरो जिणसासणे जइवि होइ तित्थयरो। पृ० 253-266 / णग्गो विमोक्खमग्गो सेसा उमग्गया सव्वे // 52. ज्ञाताधर्मकथा, अध्याय 16, सूत्र 72-74 / - सूत्रप्राभृत, 22,23 53. उवासगदसा 1, 48 / (तथा) सुणहाण गद्दहाण य गोपसुमहिलाणं दीसदे मोक्खो। 54. वही, अभयदेवकृतवृत्ति, पृ० 43 / जे सोधंति चउत्थं पिच्छिज्जंता जणेहि सव्वेहिं // 55. निशीथचूर्णि, भाग 2, 381 / __-शीलप्राभृत, 29 56. ज्ञाताधर्मकथा, द्वितीयश्रुतस्कन्ध, प्रथम वर्ग, अध्याय 2-5 37. Aspects of Jainology, Vo..2; Pt. Bechardas Doshi द्वितीय वर्ग, अध्याय५; तृतीय वर्ग, अध्याय 1-54 / Commeinoration Vol. page 50-110 57. वही, प्रथमश्रुतस्कन्ध, अध्याय 16, सूत्र 72-74 / 38. इस सम्बन्ध में श्वेताम्बर दृष्टिकोण के लिए देखिए- अभिधान 58. निशीथचूर्णि, भाग 3, पृ० 267 / राजेन्द्रकोष, भाग 2, पृ० 618-621 (तथा) इत्थीसु ण पावया 59. वही, भाग 2, पृ० 173 / भणिया -सूत्रप्राभृत, पृ० 24-26 60. वही, भाग 1, पृ० 129 / एवं 61. वही, भाग 3, पृ० 234 / णवि सिज्झइ वत्थधरो जिणसासणे होइ तित्थयरो / / वही, 23 62. (अ) वही, भाग 2, पृ० 59-60 / 39. इस सम्बन्ध में दिगम्बर पक्ष के विस्तृत विवेचन के लिए देखें (ब) तेंसिं पंच महिलसताई, ताणि वि अग्गिं पावट्ठाणि / -जैनेन्द्र सिद्धान्त कोष, भाग 3, पृ० 596-598 / एवं श्वेताम्बर पक्ष - वही, भाग 4, पृ०१४ / के लिये देखें 63. महानिशीथ, पृ० 29 / देखें, जैनागम साहित्य में भारतीय अभिद्धान राजेन्द्रकोष, भाग 2, पृ० 618-621 / समाज, पृ० 271 / / 40. इस सम्बन्ध में विस्तृत चर्चा के लिए देखें -यापनीय सम्प्रदाय, 64. आवश्यकचूर्णि, भाग 1, पृ० 318 / प्रो० सागरमल जैन / 65. मन्त्रिण्यौ ललितादेवी सौख्वौ अनशन ममतुः / -प्रबन्धकोश, पृष्ठ 129. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.210771
Book TitleJain Dharm me Nari ki Bhumika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain
PublisherZ_Shwetambar_Sthanakvasi_Jain_Sabha_Hirak_Jayanti_Granth_012052.pdf
Publication Year1998
Total Pages10
LanguageHindi
ClassificationArticle & Jain Woman
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy