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________________ 381 लव समयों के समूहों से बनने वाली काल की भिन्न-भिन्न पर्याय निम्न हैंअविभाज्यकाल एक समय असंख्य समय एक आवलिका 256 आवलिका एक क्षुल्लक भव (सबसे छोटी आयु) 2223122 आकलिका एक उच्छ्वास-नि:श्वास 3773 ४४४६२४५८आवलिका 3773 या साधिक 17 क्षुल्लक भव एक प्राण या दो श्वासोच्छ्वास ७प्राण एक स्तोक 7 स्तोक एक लव एक घडी (24 मिनट) 77 लव दो घडी या 65533 क्षुल्लक भव या 16777216 आवलिका या 3773 प्राण या एक मुहुर्त (48 मिनट) 30 मुहूर्त एक दिन रात (अहोरात्रि) 15 दिन एक पक्ष 2 पक्ष एक मास 2 मास एक ऋतु 3 ऋतु एक अयन 2 अयन एक वर्ष 5 वर्ष एक युग 70 लाख क्रोड, 56 हजार कोड वर्ष एक पूर्व असंख्य वर्ष एक पल्योपम 10 कोडाकोड पल्योपम एक सागर 20 कोडाक्रोड सागर एक काल चक्र अनन्त काल चक्र एक पुद्गल परावर्तन इन सारे विभागों को संक्षेप में अतीत प्रत्युत्पन्न (वर्तमान) और अनागत कहा जाता है। इस प्रकार विश्व संरचना के सम्बन्ध में विस्तृत विवेचना जैन दर्शन में उपलब्ध होती है / जैन-दर्शन के अनेक सिद्धान्त ऐसे हैं जो आधुनिक विज्ञान से पूर्णतः मेल खाते हैं। 64 आचार्यरत्न श्री देशभूषण जी महाराज अभिनन्दन ग्रन्थ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.210692
Book TitleJain Darshan me Dravya ki Avadharna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain
PublisherZ_Deshbhushanji_Maharaj_Abhinandan_Granth_012045.pdf
Publication Year1987
Total Pages13
LanguageHindi
ClassificationArticle & Philosophy
File Size2 MB
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