________________ C से विरत होकर दीक्षा ग्रहण करने से पूर्व ऋषभ ने वैदिक आर्यों ने पंजाब प्रदेश को 'सप्तसिंधव' मा सम्पूर्ण पृथ्वी का राज्य अपने समस्त पुत्रों को बांट नाम दिया / बोधायन और मनु के समय में आर्यों I दिया / बाहुबली को पोतनपुर का राज्य मिला। ने इस क्षेत्र को 'आर्यावर्त' नाम दिया। डैरिभरत चक्रवर्ती सम्राट हुए जिनके नाम से यह यस (Darius) तथा हेरोडोट्स (Herodous) ने भारतवर्ष प्रसिद्ध हुआ। सिन्धु घाटी तथा गंगा के ऊपरी प्रदेश को 'इण्ड' इस पौराणिक आख्यान से तीन बातें स्पष्टतः या 'इण्डू' (हिन्दू) नाम दिया। कात्यायन और प्रतीत होती हैं मेगास्थनीज ने सुदूर दक्षिण में पांड्य राज्य तक फैले (अ) किसी एक मूल स्रोत से विश्व की मानव सम्पूर्ण देश का वर्णन किया है। रामायण तथा जाति का प्रारम्भ हुआ। यह बात आधुनिक विज्ञान महाभारत भी पाण्ड्य राज तथा बंगाल की खाड़ी की उस मोनोजेनिस्ट थ्योरी (Monogenist theory) तक फैले भारतवर्ष का वर्णन करते हैं। .. के अनुसार सही है जो मानती है कि मनुष्य जाति ___अशोक के समय में भारत की सीमा उत्तरके विभिन्न प्रकार प्राणिशास्त्र की दृष्टि से एक ही , वर्ग के हैं। 9' पश्चिम में हिन्दकुश तक और दक्षिण-पूर्व में सुमात्रा(ब) किसी एक ही केन्द्रीय मूल स्रोत से निक . जावा तक पहुँच गई थी। कनिंघम ने उस समस्त प्रदेश को विशाल भारत (Greater India) नाम लकर सात मानव समूहों ने सात विभिन्न भागों दिया और भारतवर्ष के नवद्वीपों से उसकी समाको व्याप्त कर स्वतन्त्र रूप से पृथक्-पृथक् मानव नता स्थापित की। सभ्यता का विकास किया / यह सिद्धान्त भी आधुनिक वैज्ञानिक दृष्टिकोण से संभव है जिसमें कहा इस प्रकार आधुनिक भौगोलिक मान्यताओं के गया है कि विश्व की प्राथमिक जातियों ने पृथ्वी अनुसार जम्बूद्वीप का विस्तार उत्तर में साइबेरिया के विभिन्न वातावरणों वाले सात प्रदेशों को व्याप्त प्रदेश (आर्कटिक ओशन) दक्षिण में हिन्द महासाकर तत्तत्प्रदेशों के वातावरण के प्रभाव में अपनी गर और उसके द्वीपसमूह, पूर्व में चीन-जापान शारीरिक विशिष्ट-आकृतियों का विकास किया। (प्रशान्त महासागर) तथा पश्चिम में कैस्पियन (स) पश्चात् पृथ्वी के इन सात भागों में से सागर तक समझना चाहिये। एक भाग में (पुराणों के अनुसार जम्बूद्वीप में) नौ अन्त में हम प्रसिद्ध भूगोलशास्त्रवेत्ता, सागर / मानव समूहों में जो नौ प्रदेशों को व्याप्त किया विश्वविद्यालय के भूगोल विभाग के भूतपूर्व अध्यक्ष उनमें भारतवर्ष भी एक है / / प्रो० एस० एम० अली के प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट (ङ) भारतवर्ष-भारतवर्ष से प्रायः इण्डिया करना, कर्त्तव्य समझते हैं जिनके खोजपूर्ण ग्रन्थ, उपमहाद्वीप जाना जाता है। किन्तु प्राचीन विदेशी 'दि ज्याग्राफी आफ द पुरान्स' से हमें इस निबन्ध साहित्य में इस इण्डिया उपमहाद्वीप के लिए कोई के लेखन में पर्याप्त सहायता प्राप्त हुई। एक नाम नहीं है। 1. डा० एस. एम. अली, 'जिओ० आफ पुरान्स' पृष्ठ-६-१० (: 2. डा० एस. एम. अली, 'जिओ आफ पुरान्स' पृष्ठ-१२६ अध्याय अष्टम, 'भारतवर्ष-फिजिकल'। 362 पंचम खण्ड : जैन साहित्य और इतिहास साध्वीरत्न कुसुमवती अभिनन्दन ग्रन्थ FOUNCIATIC Jain E l International REATMore www.jainelione late & Personar Use