________________ -- यतीन्द्रसूरि स्मारक ग्रन्थ - इतिहासक्षत्रिय वंश राठौड़ राजा जयचंद वंशज आस्थान जी धांधल आदि 13 पुत्र ऊदल रामदेव ठाकुरसिंह - जैन बना ब्रह्म उद्धरण (खेड़पुर में हुआ, चित्तौड़ में पार्श्वभवः बनवाये, सोने के छज्जे करवाये जिसके छाज हड़ गोत्र हुआ। खेड़ में शान्तिनाथ जिनालय बनवाये श्री जिनपतिसूरि से प्रतिष्ठा कराके खरतक श्रावक हुआ। कुलधर - इसने जावालपुर भिन्नमाल, बाहड़मेर में जिनालय बनवाये। अजित सामंत बीदा माला मलयांसह जूठिल झांझण मंत्री कालू (मार्या कर्मा दे) मोहण देवधर भाहू गत्यपुर के राजा भीम का राज्यधुरा वाहक हुआ। शत्रुजय का संघ निकाला। सींगड़ - जिनेश्वर सूरि हुए छाहड़ नेणा मं. सोनपाल नोड़ राजा अरघू (पुत्री) (थाहरू पुत्री सहजबद्दे) पडूनी 2 सतोपाल (चांपल दे) म. देपाल (दाडिम दे) महिराज (महिगल दे) दवाल्हण दे 2 कैरतिग दे उदयकर्ण श्री कर्ण सहसकिरण (सिरीया दे) भरत भरम भोज भट्ट १.सूरा मंत्री 2. भवनपाल - महेवा __(दानी, मानी, कलाविद, राजमान्य) (मार्या कण्णादेवी) म. सूर्यमल ( मूलादे) दीदा (सवीर दे) १.घनदत्त ३.शिव ४.संग्रल २.गांगदत्त (मार्या गेलम देनी) धर्मदास 3. राणा 4. दूदा 5. यहीकण १.राजसिंह 2. जसा (चंजभोजा पुत्री राजलदे) म. हरीश्चन्द्र विजमाल हमीरकर्मसिंह (विमला दे) (चांपल दे) तेजपाल देवीदास (कनकादे) (सपरिवार ने जिन गुणप्रभसूरि स्तूप पाहुका) यह उसी के आधार पर 3. १.सत्ता २.पत्ता (शक्तादने) पानू | 4. चौथा चाचा देसरू (मार्यारुणी) पुत्री 3 (1 जेसी 2 रंगी 3 चंगी) नेता (नवरंग दे) यहां केवल कल्प सूत्र प्रशस्ति और गुणप्रसूरि स्तूप के आधार से अपनी "जेसलमेर के कलापूर्ण मंदिर'' पुस्तक के यहां वंश वृक्ष है। नाहर जी के लेख संग्रह के प्रतिमा लेखों में और भी बहुत नाम आये हैं। तथा अन्य लेख संग्रहों विस्तृत वंशवृक्ष तैयार हो सकता है। nidrodaridriddaridrsdrsansaridroidnid 112/drridindiansarswaminidiosaridrioritoria Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org