________________ डा. लालचन्द्र जैन धर्मों का अध्यास होने से इनमें अभेद कैसे हो सकता है ? जहाँ विरुद्ध धर्मों का अध्यास है वहाँ अभेद नहीं है। जैसे जल, अग्नि / ज्ञान सुख आदि में भी विरुद्ध धर्मों का अध्यास है, इसलिए उनमें भी अभेद नहीं है / इस प्रकार सुख आदि में ज्ञान रूपत्व सिद्ध नहीं होता है। इस प्रकार चित्राद्वैतवाद पर विचार करने पर वह तर्क की कसौटी पर खरा नहीं उतरता है। इसलिए अन्य अद्वैतवादों की तरह 'चित्राद्वैतवाद' भी ठीक नहीं है / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org