________________ अचनाचम पंचम खण्ड | 266 (6) पवनमुक्तासन पवनमुक्तासन पेट का मोटापा दूर करने में बेजोड़ प्रासन है। यह पेट की दूषित वायु बाहर निकालने में सहज सहायक है। पीठ पर लेट जाइये। दोनों पैरों को 90deg उठाइये और घुटनों से मोड़ कर दोनों हाथों से घुटनों के ऊपर से पकड़ कर पेट की ओर खीचें / साथ ही गर्दन ऊपर उठाकर माथा या ठोड़ी घुटनों से लगाने का प्रयत्न कीजिये। धीरे-धीरे अभ्यास से यह सम्भव है / श्वास-प्रश्वास करते हुए इस स्थिति में 2-3 मिनट तक रोकें और पैरों को छोड़ कर सीधे करते हुए लेट जाइये। ध्यान रखें कि इस आसन में श्वास न रोकें, अन्यथा सिर भारी हो जाता है। हृदय रोगी को इसे नहीं करना चाहिए / (7) द्विपादउत्थितासन पीठ के बल लेट कर दोनों हाथों को शरीर के साथ रखें। गर्दन, कमर सीधी रखें। घटनों से पैर सीधे रखते हुए दोनों पैरों को 450 ऊपर उठाते हए श्वास-प्रश्वास कीजिए। इस स्थिति में लगभग 1 से 2 मिनट तक रुकें। प्रारम्भ में यह समय अपनी शक्ति के अनुसार रखें। अभ्यास से समय बढ़ाइये / यह प्रासन पेट, जंघाओं एवं कूल्हों का मोटापा कम करता है। पेट के रोगों में लाभकारी है। कब्जियत दूर करता है। बवासीर में लाभकारी है। घबराहट, हृदय की धड़कन कम करता है। रक्तचाप सामान्य रखता है / प्रारम्भ में यदि दोनों पर न उठते हों तो एक पैर से इसका अभ्यास करें। कुछ दिनों के बाद दोनों पैरों से यह प्रासन होने लगेगा / पेट के भयंकर दर्द में इसे न करें। ई-५ रतलाम कोठी, इन्दौर-४५२००१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org