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________________ प्रन्यनाम अन्धकार भावा 25. वैद्यक निघण्टु धनमित्र संस्कृत अनुपलब्ध 26. वृद्ध वाग्भट वाग्भटाचार्य 27. रससार शिवघोष 28. वैद्यक योग संग्रह पूज्यपाद 26. रसतंत्र पूज्यपाद 30. प्रयोग संग्रह शिवनन्दि 31. प्रयोग चन्द्रिका रामचन्द्र ( आदर्श जैन चरितमाला, वर्ष 2, अंक 7-8 से ) उपयुक्त सूची में उल्लिखित ग्रंथों के अतिरिक्त कुछ अन्य ग्रंथों की प्रामाणिक जानकारी मुझे और मिली है, जिनका विवरण निम्न प्रकार है ग्रंथकार भाषा 1. वैद्य शास्त्र पं० हरपाल प्राकृत 2. सार संग्रह विजयण्ण संस्कृत उपलब्ध 3. जगतसुन्दरी प्रयोगशाला यशः कीति प्राकृत 4. रस चिन्तामणि अनन्तदेव सूरि संस्कृत उप०/मुद्रित 5. हितापदेश वंद्यक श्री कण्ठसूरि संस्कृत उप०/मुद्रित 6. रसावतार माणिक्य चन्द्र जैन अनुपलब्ध 7. योगरत्नाकर नारायण शेखर जैन संस्कृत अनुपलब्ध 8. वैद्यवृन्द 9. वैद्याभूत 10. ज्वरनिर्णय 11. ज्वरत्रिशती को टीका 12. रत्नाकर औषधयोग ग्रंथ 13. भैषज्य शुणार्णव पूज्यपाद उपलब्ध? 14. निघण्टु समय धनंजय 15. निघण्टु शेष /अनु. 16. विद्या विनोद पूज्यपाद उपलब्ध 17. पूज्यपाद वंद्यक 18. वैद्यकशास्त्र पूज्यपाद 16. कालज्ञान विधान 20. वैद्यकाल 21. वैद्य संग्रह 22. निघण्टु शेष हेमचन्द्राचार्य मुद्रित/अनु इन तीनों तालिकाओं से स्पष्ट है कि आयुर्वेद विषय पर जैनाचार्यों द्वारा लिखित साहित्य विपुल है। प्रयत्न पूर्वक खोज करने पर और भी अनेक ग्रंथों तथा महत्वपूर्ण सामग्री का पता चल सकता है। उस सामग्री एवं ग्रंथों के प्रकाश में आने पर जैन साहित्य की ऐसी विलुप्त विद्या का पुरुद्भव हो सकेगा जिसे चतुर्दश पूर्व के अन्तर्गत नष्टप्राय: समझ लिया गया है। अतः इस दिशा में शोध और अनुसंधान परक पर्याप्त प्रयत्न अपेक्षित है / आशा है विद्वद्जन एवं संस्थाएं इस दिशा में अपेक्षित ध्यान देगी। 182 आचार्यरत्न श्री देशभूषण जी महाराज मभिनन्दन अन्य Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.210252
Book TitleAyurved ke Vishay me Jain Drushtikon aur Janacharyo ka Yogadan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajkumar Jain
PublisherZ_Deshbhushanji_Maharaj_Abhinandan_Granth_012045.pdf
Publication Year1987
Total Pages14
LanguageHindi
ClassificationArticle & Medicine
File Size2 MB
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